रिश्तें ज़िंदा है पर मौन है,
दृश्य है पर बिन आँख है,
मौज़ूद है पर बिन पैर है!-
तुम्हारा आना हुआ और ख़्वाबों का मुस्कुराना!©
ना लिख- पढ़ पा... read more
रिश्तों को पाने में ज़िन्दगी लगा दी,
जब ज़िन्दगी दाँव पर लगी,
सुनो, इक़ रिश्ता ना पाँव चला..-
जब दर्द किसी से बयां नहीं होता,
तो कागज़ उधार लेना पड़ता है,
कोई कागज़ उधार ना दे,
तो दर्द को हमदर्द बनाना पड़ता है!-
कुछ सवाल जहन में होते है..
पर किए नहीं जाते है..
इक़ वक़्त लगता है..
सवाल भूल जाने में..
अपनों से,
रिश्ता ताउम्र निभाने में!-
कितना अजीब होता है ना मन..
कभी कहीं तो कभी कहीं चला जाता है,
अच्छा कम बुरा ज़्यादा सोचता है,
और इसको बुरा भी जल्दी से लग जाता है,
इसे समझाने में कितना वक़्त लगता है..
उम्मीद करेगा पता है..
नहीं करनी चाहिए..
किसी से, फिर भी करता है..
खुद ही सोच कर बैठ जाएगा कि,
ये शख़्स तो कभी मुझे दुःख नहीं पहुंचाएगा ..
सोचते ही कुछ ना कुछ होना तय है
फिर घोर उदासी..
मन दुखी..
फिर मन चला कहीं ओर..-
वो रविवार अब नहीं आता..
जब सुबह दूरदर्शन पर रंगोली देखा करते थे,
नाश्ते में चाय समोसे हुआ करते थे,
स्कूटर साइकिल की सफाई के साथ,
पड़ोस संग बातें किया करते थे,
खाने में कुछ मीठा खाया करते थे,
जो बुआ मामा लाया करते थे,
दोस्तों संग क्रिकेट खेला करते थे,
मिट्टी के घर बना शाम बनाया करते थे,
दादा संग बैठ समाचार देखा करते थे,
दादी संग मिल अचार बनाया करते थे,
लैंडलाइन पर उस रोज़ कॉल ज्यादा आया करते थे,
एसटीडी कॉल करने बाहर जाया करते थे,
अब इतवार इतवार सा नहीं लगता है,
किसी का इंतज़ार भी नहीं रहता है..-
ज़िन्दगी नामक ऍप में
सारी ख्वाहिशें,
मुक़्कमल नहीं होती..
कुछ विशलिस्ट में,
रहकर भी पूरी..
तो कुछ कार्ट में,
रहकर भी अधूरी..
रह ही जाती है..-
तुमसे वो पहली मुलाक़ात,
वो हाथों में हाथ,
तेज़ धड़कनों का साथ,
याद आता है,
तुम पर प्यार आता है ...♥
वो पहली दफ़ा का बोसा,
तुझमें कही खो जाना उस पल,
इक खूबसूरत लम्हा सा,
याद आता है,
तुम पर प्यार आता है ...♥
वो तुम्हारे साथ होते हुए भी,
ख़ामोशी भरी बात,
तुम्हारा मुझे देखते रहना,
मुस्कुराना,याद आता है,
तुम पर प्यार आता है ...♥
वो तुम्हारा इक बात को पूरे,
सलीके से कह देना,
दुबारा पूछने पर ना बताना,
जाने दे... कह देना,
याद आता है,
तुम पर प्यार आता है ...♥-
दर्द कभी सगे नहीं होते किसी के,
दर्द देने वाले होते हैं सगे सभी के!-
कभी मिली जो मुझे ज़िन्दगी,
तो पूछूँगी में उससे कि..
तू पहले बता ऐ ज़िन्दगी,
वक़्त पर मिली क्यों नहीं..
और जब मिली तब तू..
हँसी क्यों नहीं..-