बरसात की बूंद हो
खेत खलिहानों में भरती हरियाली हो
वो कीचड़ का पानी न सही
मगर वो तुमसे ऊपर भी तो नहीं
फिर तुम उसको वो बादल क्यों समझती हो?
जिसके बिना तुम बूंद ही न कहला सकती हो।
तुम तो ज़मीन हो
जो देती सबको घर हो
वो तुम्हारे भीतर बना गड्ढा न सही
मगर वो पानी की बूंद भी तो नहीं
फिर तुम उसको बूंदों का दर्जा क्यों देती हो?
जिसके बिना तुम बंजर हो।
( पूरी कविता अनुशीर्षक में पढ़ें )
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प्रार्थना क्या हैं?
मेहनत के बाद भी शायद किस्मत में जो नहीं लिखीं हुई हों उन हसरतों को पाने का जरिया है प्रार्थना।-
लोगों का ध्यान हमेशा आपकी
इनकम और आप के पद पर रहेगा,
आपकि मेहनत पर नहीं ।
" हिमांशु बंजारे "-
रोज नये ख्वाब देखना
नया उद्यम , नयी बातें
छोड़ दिया है मैंने।
जिंदगी काटना सीख गए।
चाँद का वो धंधा,
अब अजीब नहीं लगता,
रोज रात को आता है
सुबह चला जाता है।-
मेहनत से राह आसान होती ,
बंजर भूमि भी उपजाऊ बनती;
बस नेक नियत
और सच्चा मार्ग हो तेरा ,
फिर इस मेहनत से
क्यों नहीं चमकेगा भाग्य तेरा।।
🍁Anjna Kadyan🍁
तकदीर-ए-खेल में
बाजी बड़ी-बड़ी पलट गई ,
राजा कब रंक और रंक कब राजा
बन सत्ता बदल गई ;
मनुष्य चाहे तो असंभव भी संभव बन जाए
मेहनत, लगन से
बिगड़ी तकदीर भी सुधर जाए।।
🍁Anjna Kadyan🍁-
👍••मेहनत किसी की बेकार नहीं होती••👍
मेहनत किसी की बेकार नहीं होती,
मेहनत के बिना कामयाबी किसी के नाम नहीं होती|
शावक जो साइकिल चलाना सीखते हैं,
वो भी तो बार-बार गिरते हैं|
लेकिन चोट खाकर भी,
जो खड़े हो उठते हैं, उनकी मेहनत बेकार नहीं होती|
परिश्रम आपसे प्रश्न पूछेगी,
उत्तर आपको परिश्रम से ही मिलेगी|
विद्यार्थी जो करते हैं मेहनत बार-बार,
कभी-कभी वो भी असफल हो जाते हैं|
कुछ खामियां निकालती है मेहनत,
जो मेहनत से ही भर जाते है|
मेहनत की समय सीमा नहीं होती,
मेहनत किसी की बेकार नहीं होती|
आज नहीं तो कल मेहनत का फल जरूर मिलेगा,
सब्र करो मकसद आप का जरूर पूरा होगा|-
लोग कहते हैं “तेरा रास्ता गलत है...!”
मैं कहता हूँ “ फावड़ा लिये चला हूँ हाथ में, जहाँ पर रास्ते खत्म होगी वही कोई नया मंजिल बना लूगां...!!”-
ये कुदरत की कारीगरी है या ख़ुदा की इनायत,
रंग सोने सा है मेरी मेहनत का और हाथ मैले हैं !-
आरज़ू, ख़्वाहिश, तलब, कोशिश, क्यूँ करते हो,
इश्क करना है तो करें, मेहनत क्यूँ करते हो!-
कुछ आर गए, कुछ पार गए
कुछ नदिया की धार गए
जाना था जिसको जहाँ कहीं
क्या कड़ी धूप या रात घनीं !
सरकंडों सी राहों पर
जीवन का पूरा भार लिए
सबकुछ अपना वार गए-