ऐ जान ए,फिज़ा ओ महजबीं
कर मेरी मोहब्बत पर यक़ीन
मेरी आँखों की आरज़ू कहती
नज़रों में तू मुस्तक़िल.. रहती-
क़ासिद भी गली से होकर
वक़्त भी गुजर रहा है
मुसलसल यादें मुस्तकिल है-
ग़म ए साहिल से पूछ लहरें क्यूं अब दिल धड़काती नहीं
चीर देती हैं सीना फिर भी दिल तक जाती नहीं
असर होता ही नहीं क्यूं बिछड़ के मिलने का
रात बहाती है गिर्यां-ए-शबनम क्यूं चांद की हो जाती नही
क्यूं सितारों को कोई मुस्तकिल अपना न मिला
दर्द जो उसका नहीं है तो ये है किसका हुआ
इस मौसम सा अश्को का रंग क्यों नहीं बदलता
बहुत से सवाल हैं ज़िंदगी के जिनके जवाब नहीं...-
मेरी मजबूरी को समझो बात जरा दिल की है
तलबगारी है तुम्हारी, ये चाहत मुस्तक़िल सी है-
रात का है दामन छोटा है ,
तुम भी उससे ना घबराओ,
इश्क जो कर ही लिया तो,
तुम भी अब फना हो जाओ,
कह रही है ये फिजाएँ,
तुम भी आकर अपना मुस्तकिल बनाओ,
छोड़कर ये गम सारे,
नया करिश्मा दिखाओ,
दुनिया देखे फिर तुम्हे तो,
हर बार तुमहारी मिशाल बानाये।
-
मेरे दिल की शाख़ की मुस्तकिल चीज है ...
जिसे मुझसे जुदा किया जा सकता नही ...
क्या हुआ जो आज पास नही है मेरे ...
मेरी माँ मेरे एहसासों में बस्ती है ... 😢
-
मुसलसल बिन तेरे जीने की राहें ढूँढता था मैं
तेरी यादों ने कर के मुस्तक़िल अपना लिया मुझको-
मुस्तकिल ख़ामोश सा ही रहता हूँ मैं...
पर बहुत कुछ है कहने को मेरे पास भी...-
पता नहीं तू कौन है पर एक मीठापन है तेरी बातों में,
देखा तो नहीं हूं पर मेरी कल्पनाओं में तेरा ही रूप है,
बगैर तुझसे राब्ता के.. दिल में तेरी ही जुस्तजू है,
मुस्तकिल नहीं.. फिर भी तुझे ही पाने की तमन्ना है.
INSTAGRAM @nostalgic.mylife-
✍️चंद लम्हे✍️
चंद लम्हे चुरा के रखे हैं
मुस्तकिल मुस्कुरा के रखे हैं
✍️✍️
वही जो तुमने सरेआम किए
वो दिल दिल से लगा के रखे हैं
✍️✍️
चमन में आती है उनसे खुशबू
फूल में खत छुपा के रखे हैं
✍️✍️
हवा यूं तीर चली आती है
बन के तकदीर चली आती है
✍️✍️
कई दुश्मन विनय यारों की तरह
हमने अपने बना के रखे हैं-