Shivam Mishra Mustaqil   (शिवम् मिश्रा 'मुस्तक़िल')
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| Engineer | Poet | Indian Shayar | Stage Performer |
Joined 16 July 2020


| Engineer | Poet | Indian Shayar | Stage Performer |
Joined 16 July 2020
20 FEB 2023 AT 23:00

अक्सर सफ़र कितना भी मुश्किल हो,
आसान हो जाता है अगर दीदार - ए - मंज़िल हो।

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14 SEP 2022 AT 21:19

जब तांडव करते शिव भोले
धरती और अम्बर भी डोले

हांथ में डमरू डम डम बाजे
मस्तक पे है मयंक विराजे

वो भोला भाला सीधा साधा
आधी नारी ,पुरुष है आधा

गंगा की शोभा जटा में उनके
मस्त मलन वो अपने धुन के

जीवन है वो मरण भी वो है
है बेघर फिर भी शरण भी वो है

नाम शिवम् पहचान शिवम्
अद्भुत हैं ये भगवान शिवम्

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30 AUG 2022 AT 8:50

रह के ख़ुश अब तो करना है ग़म का मफ़र
काटना है यूँ ही ज़िंदगी का सफ़र

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28 AUG 2022 AT 14:02

वक्त भी कहाँ रुका किसी के ए'तिराज़ से
जो अज़ीज़ थे बदल गए बड़े लिहाज़ से

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22 JUL 2022 AT 9:04

मिल के ग़ैरों से मुझको जलाता रहा
जिसको अक्सर मैं अपना बताता रहा

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14 APR 2022 AT 6:31

निहारा था बड़ी शिद्दत से उसने इक दफ़ा मुझको
तभी नज़रों में उसकी मैंने पूरा खो दिया ख़ुद को

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25 MAR 2022 AT 21:41


बहुत गहरा हूँ मैं बोलो कहाँ तक जाना चाहोगे
है बेहतर ये किनारा कर लो वर्ना डूब जाओगे

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18 MAR 2022 AT 8:25

रंग पड़े तो क्यों निकलती बुरी बोली है
पटक के रंग देंगे, बुरा न मानो होली है

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18 MAR 2022 AT 8:20

रंग से रंग मिले, हो जाये मन का मेल
इस पावन त्यौहार पे कुछ ऐसे होली खेल

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12 MAR 2022 AT 16:10

मां गंगा के तट पे मैं जब,
माथा टेका करता हूं,
प्रयाग की धरा पे जन्मा हूं
गर्व इसी का करता हूं।

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