चाँद सा मुखौटा डाल, वो छत पर जो आती है
हाय, क्या अदाकारी से वो हमसे नज़रें चुराती है
चाँद भी दागों के चंगुल में फँसा नज़र आता है
मोहतरमा तो यहाँ चाँद को भी मात दे जाती है-
खूब देखी हैं हमने शाइस्तगी के मुखौटे के पीछे छुपी मक्कारियाँ
हमारा जाहिल होना भी हमें ख़ुदा की नेमत से कम नहीं लगता-
सुकून ढूँढने क्या चली थी
तेरे इश्क़ में,
क्या पता था
खुद को ही गवा दूँगी
तेरे इश्क़ के भीड़ में.........-
आज, कल, धोखा देना तो
इंसान की फितरत में हैं 👹👹
🔲 हां , ये बात अलग है की
आपनो से धोखा मिलने 😔
पर जायदा दर्द होता है, 😣
बजाये दुसरो से धोखा मिलने पर .✌️-
मैंने कलम तो शौक से थामी थी,
यौरकोट ने लेखक का मुखौटा पहना दिया-
अजनबी से बन के मुझसे सवाल पूछते हैं..सब कुछ उन्हें पता है क्या हाल पूछते हैं ।
हर पल डराया हमको जी पाओगे ना हम बिन ..फिर छोड़ गए हमको अब हाल पूछते हैं।
सौ लानते उठाई एक हमने उन की ख़ातिर ...अब क्या है तेरा मुझ पर उधार पूछते हैं।
थी जिस्म की जरूरत जिनके लिए मोहब्बत..किसने किया है मुझको तबाह पूछते हैं।
है हवस के पुजारी ओढे सराफत का मुखौटा...कैसे हुई सराफत नीलाम पूछते हैं।
अय्यासियों के खिस्से मशहूर है खुद जिनके ...वो जा के हर किसी का ईमान पूछते हैं।-
एक बार धोखा मिला तो मैं सोची
गलती मेरी भी रही होगी,
जब अपनो ने धोखा दिया तो पता
चला की सबने चहरे पर
अच्छाई के मुखौटा पहन रखा है ।-
मुखौटा पहने गुजरता
है सारा दिन मेरा ,
रात आकर मुझको बेनकाब करती है।-
कीचड़ फेकना मुझ पर लेकिन अपना मुखौटा संभाल लेना ।
अक्सर अंधेरी रात में बिजली बिन बताये ही चमक जाती है ।-
कई मुखौटे बनवा लिए हैं मैंने
कर सकता हूँ सामना अब दुनिया का
बस एक चेहरे की तलाश है
जिससे कर सकूँ खुद का सामना-