नारी सब कुछ बर्दाश्त कर लेगी,
पर अपने मायके की बुराई नहीं-
भैया ! नही कहती कि मुझे भी हिस्सा
दो बस मेरा मायका बनाये रखना।
नही चाहिए मुझे भैयादूज और रक्षाबंधन
पर महँगे उपहार, बस बहन से मिलने आ जाना।
जब कभी मैं मायके आउ तो भले मुझे कुछ भी
मत देना पर मान-सम्मान और इज्जत बनाएँ रखना।
कोई साथ दे या ना दे पर आप हमेशा मेरा
साथ देना, मुझे आपसे कुछ नहीं चाहिए।
चाहिए तो बस इतना कि मेरे बच्चपन की यादें
सजोए रखना।
भैया मेरा मायका हमेशा बनाये रखना।-
एक वो भी है परिवार , जहां माँ बाप, बच्चे भाई बहनोई और बहना है
होली गणगौर पूज लू, थोड़े दिन उस मायके
में भी रहना है-
"आंखों के आंसू को,
समझता वो मोती।
व्याकुल होता है पिता,
जब बिटिया है रोती।
अत्यंत हृद्य-विदारक,
बिदाई की बेला है होती।
काश.. बाबुल की लाडो,
पराई ना होती।"-
जब सावन का मतलब खुशियाँ,
भाई-भाभी का आना,और
फिर हमारा राखी पर जाना,
माँ के साथ सब लोगों का मस्ती करना।
माँ और मायका को मिलने को तरस रहे हैं,
और जाने की सोच भी नहीं पा रहे हैं।।
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"मत पूछा करो मां बार बार
और
क्या ले जाओगी तुम...
बस विदाई के वक्त वाला
अपने अधरों का मौन और
छलकती निगाहों के आंसू दे देना!"-
✍🏻अगर मुश्किल में पड़े मायके का सहारा बनना महाभारत की नींव रखता है,
तो मंजूर है मुझे ये महाभारत भी।-
ससुराल और मायका
जैसे हो कोई कठघरा
सच चाहे जिस और हो
मुकदमा जीते ससुराल का ।।
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बचपन जहाँ बिताया था वो
ठिकाना अपना नहीं लगता।
माँ अपनी लगती है मगर
मायका अपना नहीं लगता।।
आँगन देहरी और दरवाजे
सभी नए से हो गए अब,
वो घर ऐसा बदला कि कोई
कोना पहचाना नहीं लगता।
माँ-पापा, भईया-दीदी
सबकी पलकों पर रहती थी,
छोटों को इतना प्यार मिले
अब वो जमाना नहीं लगता।
बचपन जहाँ बिताया था वो
ठिकाना अपना नहीं लगता।
माँ अपनी लगती है मग़र
मायका अपना नहीं लगता।।-