एक विचार आदमी के संसार को
बदल देता है।
यदि वह विचार शुभ है
तो वह ना केवल स्वयं
की प्रगति का कारण बनता है
अपितु दूसरे लोगों के जीवन
को भी बदलने तक की सामर्थ्य
रखने वाला होता है।-
मानसिक तनाव
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जब चारों ओर मन में होता है सिर्फ अंधेरा
दबी हुई ख्वाहिशें तब बना लेती है एक घेरा
पूरी दुनिया, समाज और परिवार होता है साथ
पर फिर भी होती है सिर्फ खुद से बात
बस जाता है मन में एक अकेलेपन का भाव
और तभी हमें होता है मानसिक तनाव
जो मार देता है इंसान को अंदर वो है ये ज़हर
हर कोई झेलता है एक दफा इसका वो कहर
ज़िन्दगी का तो नाम ही है... खुशी और गम
कभी मुस्कुराते हैं होंठ, कभी होती है आंखे नम
मसला ये है कि आप कैसे झेलते हैं हवाओं के झोंके
कभी ये आपको रोक दे तो कभी आप इसे भी रोकें
बस रखनी है हिम्मत और खुद पर आत्मविश्वास
फिर ये संघर्ष तो क्या, आपका पूरा है ये आकाश
यूं हीं नहीं मिलती हमें ये कीमती जिंदगानी
यूं हीं नहीं लिखी जाती है इसकी हर कहानी
इसलिए आत्महत्या नहीं है इसका कोई हल
ज़रा सोचिए अभी आगे है आपका पूरा कल
तो जीत लेंगे हमसब भी इस तनाव से जंग
ना होगी फिर कभी किसी की ज़िन्दगी तंग
अपराजिता आनंद
— % &-
उजली सूरतें हैं उनकी मगर सीरतें काली,
कुछ लोगों की सोच यहां है बड़ी निराली !
अहसास-जज़्बात की भाषा, ना समझते,
पीते हैं चाय डाल बीच मदिरा की प्याली !
आके करते वाह वाह पढ़कर कलाम को,
पीठ पीछे जाके करते वार ये हमख़्याली !
नज़र रखते कमैंट पे, किसने क्या लिखा ?
फिर जोड़ रिश्ते..उड़ाते छींटे किरदार पे !
नहीं जानते हैं.. शब्दों का शब्दों से नाता,
ओछी सोच से जीना कर देते हैं दुश्वार ये !
पाठक-लेखक का रिश्ता होता शब्दों का,
पर जोड़ती तमाम नाते इनकी बेख़्याली !
कह जाते हैं इतना कुछ कि कह ना पाऊँ,
छीनते हक रचनाएं पढ़ बजाने का ताली !
अपने नाम का ठप्पा लग लेते लेखक पे,
जैसे वो इनका हो गुलशन और ये माली !-
दहशत
होने लगती अकल्पित, अनाँकलित सी दहशत शाम से ही
पत्नी भयाक्रांत, किसी अनिष्ट की आशंका प्रति सन्ध्या, रात्र
सहमे बच्चे सो जाते भूखे , पित्रागमन की ख़ुशी आँखों से काफ़ूर
चिंता की लकीरें, स्पष्ट उभरी कपाल, कंपित भीत कोपपात्र
मदिरा मंदिरा संग, पुलकित अंग-अंग, लोमहर्षित भर उमंग
गृहप्रवेशित हो आवेशित, कर परिजनों का रंग-भंग
मद्यप-वनिता, मद्यप-तनुजा हेतु कदापि न प्राप्त मनोशान्ति
तन-मन सदैव क्षत-विक्षत, आच्छादित करे मानसिक क्लांति
बनी बनाई सामाजिक प्रतिष्ठा पल भर में लग जाती दाँव
सवारी अश्व उपरांत गर्दभ की ज्यों उपहासे सारा गाँव
समक्ष पड़ी सम्पूर्ण जवानी, क्यों चाहे होना कोई कहानी
दुनिया के सर्वसुखों के आगे क्यों भाए है तुझको मनमानी
जब तड़पोगे दर्द से आएँगी याद सब दादी - नानी
क्या कोई टीका बन नहीं सकता चिकित्सा हेतु इस दुर्व्यसनी???-
वो दूसरो को ,जुए (gamble) में जीतते देख
खुद भी उस कुँवे मे कूद पड़ा
पर उसे ये नही मालूम कि..
जुआ आज तक किसी का ना हुआ।-
मानसिक स्वास्थ्य
विज्ञान ने इतनी तरक्की की
कि पहुंच चुके है चांद पर
खोज रहे मंगल पर पानी
पर अवसाद की क्या अभी
कोई दवा बनी?
डॉक्टर बचा सकते है बीमारों को,
हॉस्पिटल में दम तोड़ती कई जानों को,
पर आत्महत्याओं का क्या?
अवसाद का क्या?
क्या बचा पाएगा कोई उन जानों को ,
जिन्हें बाहरी कोई मर्ज न था ,
जो पूर्णतः स्वस्थ थे,
जो हमेशा सबसे हस कर मिलते थे...
कि मान लेना अवसाद में हैं
बचा सकता है कई जानें,
पर समस्या ये हैं कि हम मानते ही नहीं
जब तक कोई मरता नहीं।
खुशबू किरण पाटीदार-
✨ मानसिक तनाव,✨
मानसिक तनाव इंसान को खोखला कर जाता है
अच्छा खासा इंसान बस बिखर कर रह जाता है।
हंसते खेलते जीवन में जब भी परेशानियां आती है।
बस यही इंसान के लिए चिंता का कारण बन जाती है।
परेशानियों से जब जब भी वह जूझ नहीं पाता है
तभी एक तनाव सा उसके मन में घर कर जाता है।
मुश्किलें ,परेशानियां हर एक के जीवन में आती है
जुझने वालों के सामने मुश्किलें कहा टिक पाती हैं।
जो इस मानसिक तनाव से बाहर निकल जाता है ।
वही इंसान जीवन में आगे बढ़कर कुछ कर पाता है।
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हो चुके है पेंडुलम खराब लडको के
तो बदल दो उन्हें ट्रांसजेंडर में
बेज दो उन्हें महखाने में
आखिर पता तो चले एक लड़की
का दर्द क्या होता है जब बिन उसकी
मर्ज़ी उसकी इज्जत संग खिलवाड़ होता है।
इससे बड़ी सजा और क्या होगी।-