kh nazim   (Kh Nazim)
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Joined 20 March 2019


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Joined 20 March 2019
9 MAR 2022 AT 15:29

क्या खाक जानेगा जमाना तेरी मेहनत को,
ये वक्त है ख़ुद गा कर शोर मचाने का।

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28 DEC 2021 AT 11:44

ता-उम्र का हिसाब ले रहे है वो,
हमसे खफा हो कर हमसे मिल रहे है वो
उन्हें दुश्वारियों का क्या पता होगा,
जिंदगी में जो बे-मुराबत मिल रहे है वो।

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13 NOV 2021 AT 20:32

कुछ खता थी,तब खफा थी।
वरना, वो हमसे कहा जुदा थी ।

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9 NOV 2021 AT 16:23

जिंदगी का खेल भी अजीब है नाजिम,
दागा तभी देती है जब बे-खबर होते।

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7 NOV 2021 AT 17:07

उदाशियों को क्यों मैं बद-दुआए दूं ,
यही तो अक्सर मुझे मुझ से मिलती है।।

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25 OCT 2021 AT 10:21

दिल का रिश्ता उनसे बड़ा अजीब था यारों,
उनके ना रहने पर भी उन्ही को याद करता है।

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15 SEP 2021 AT 12:05

किस्मत फिर मजाक करने लगी है,
ला-कर मंजिल इतने पास फिर क्यों अलविदा करने लगी है।
किस्मत फिर मजाक करने लगी है।।

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5 SEP 2021 AT 11:18

अंधेरा होता चारों तरफ ,
अगर मां और गुरु ना होते ।

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4 SEP 2021 AT 23:45

देखाें अब धुंधली होने लगी है छवि तुम्हारी
हमारी नज़रों में,
लगता है ।
हम भी नज़र-ए-बीमारी का शिकार हो गए है ।

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4 SEP 2021 AT 23:38

मेरी नज़रे अनजाने में अब भी तुझे ढूंढती है,
कलाम ना होता हो बेशक हमारे दर्मियां
फिर भी हर वक्त तू मुझे सुझती है ।

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