Aprajita Anand (Rhycha)   (Aprajita Anand(Rhycha))
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Joined 21 April 2018


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Joined 21 April 2018
22 FEB AT 23:02

अब हर दरख़्त है खाली और हर नजर सवाली
बेगाना है वक्त या वो खयाल है बेख्याली
कि पतझड़ के मौसम भी पूछते हैं हमसे
कहां है बीता बसंत और तेरे दिल का माली

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1 DEC 2024 AT 21:50

किसी किताब के आवरण को बदल कर आप कुछ समय के लिए उसकी बाहरी स्थिति ठीक कर सकते हैं ना कि उसमें लिखी उस कहानी के शीर्षक को।

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18 NOV 2024 AT 21:02

बेहतर है अपने लफ्ज़ों को अपने लबों तक रखें
हर शख्स और हालात इनके मुनासिब नहीं होते

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17 NOV 2024 AT 19:49

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24 OCT 2024 AT 20:56

होता है तो हो जाए मुझसे खफा ये जहां
हां तुम हो मेरे जन्नत, तुझमें है मेरा पनाह

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21 SEP 2024 AT 13:54

मंजिल से राहों का फासला यूं तो बहुत ज्यादा था
तुम हो तो हैं राहें, वरना तुम बिन मैं आधा था

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19 SEP 2024 AT 22:59

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6 SEP 2024 AT 15:47

है किसी को आंखों में
भरने की ख्वाहिश
अब वो रहता है
निगाहों या ख्वाबों में
कौन जानें वक्त की
क्या है आजमाइश

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2 SEP 2024 AT 21:58

कि रुख बदली है ये हवाएं
न जानें क्यों
खामोश सी हैं फिजाएं
शायद कुछ तो ढूंढ रही है आंखें
इन नज़रों से अब क्या छुपाएं
लब भी है ठहरे हुए
कैसे उन्हें, हम क्या बताएं
हां कुछ लोग पढ़ लेते है खाली अल्फाज भी
तो क्या अब हम उन्हें कह कर ही इश्क जताएं

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28 AUG 2024 AT 13:36

अपने एहसासों को शब्दों में पिरोना
जैसे सीखते है हम अक्षर से
शब्द और शब्द से वाक्य बनाना
एक एक कदम बढ़ाते हुए
हमने लेखन के महत्व को जाना
कि कभी भी हम अकेले नहीं है
क्योंकि yourquote ने हमें अपना माना

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