उनके माथे की बिंदीया से बहुत
लगाव हैं मुझे,
क्योंकि, मेरी नजरें सबसे पहले
उस पर ही ठहरती है...!!-
आज जिंदगी से माथा लगाया है,
इसी लिए माथे पे पसीना आया है,
इस हौंसले को कोई तोड़ नहीं सकता,
ये हौंसला ख़ुदा की रहमत से आया है,
देख कर हौसला मेरा", मुसीबत भी चकरा गई,
खुद मुसीबतों ने पैर पकड़ के खुद को,
मेरे इस हौसले से छुड़ाया है।।-
माथे से किस्मत और आंखो से नियत परखी जाती है....
बिल्कुल उसी तरह, चेहरे से शख़्सियत परखी जाती है !.......-
तेरे माथे की शिकन भी सारे राज़ खोल देती है,
जो तेरा चेहरा बयां करने से डरता है।-
हाथ मेरा थाम
माथे को चूम ले |
ना उठू अगर इस कदर
अपनी बाहों में आराम दे |-
अगर तस्वीर पूरी है तो कहानी होगी ।
अधूरी जान लो तो परेशानी होगी ।।
युही नही भरते लाल रंग माथे पर ।
सब जान सके किसी की निशानी होगी ।।
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बिना माथे पर शिकन आए कई झूठे वादें कर देती है
मेरी महबूबा भी किसी राजनेताओं से कम नहीं-
काजल बिंदिया झुमके
उसको ना आधिक भाता हैं
पसंद हैं उसे मेरे माथे पर
हल्का सा चंदन (तिलक)
जो उसके मन को लुभाता हैं ।-
माथे की तो वो पढ़ ना पायी
उसकी भाषा समझ ना पायी
नियति खेल गयी आँख मिचौली
रह गयी वो बस ठगी ठगाई-