मेरी झील सी आँखों में आज हलचल है तूफानी सी
तुझ संग इश्क़ बेपनाह देख हवाएं भी है रुहानी सी ,
देख तेरा मासूम चेहरा तेरे इश्क़ में बन गई दिवानी
लिख हथेली पे नाम तेरा आज साँसे भी है मस्तानी सी,
तेरी महफ़िल में आए थे आज प्यार की देने कुर्बानी
देख आज इश्क़ में तेरे ख़ातिर लब भी है बेज़ुबानी सी ,
ख़्वाहिश फ़क़त दिल की,तेरी बन जाउं कोई कहानी सी,
लिख दिल पे नाम तेरा साँसो ने भी की है बेईमानी सी,
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तू खुश रह न उसके साथ जो तेरे लिए अपनी दुनिया छोड़कर आयी है,
मैंने तो दिल चुरा लिया तेरा बस, वो तो तेरे लिए अपनी जां लुटाती आयी है..!!
हाँ, माना सुना है मैंने लोगों को कहते के मोहब्बत में सब जायज़ है,
पर किसी का दिल तोड़के अपना घर सजाना सरासर नाजायज़ है..!!
तू शायद दो दिन मेरी बाहों में खुश रहले पर तू सुकून उसकी गोद में ही पायेगा,
उसके प्यार में मुझे तो क्या, मेरी हर याद को भी भुला जाएगा..
हां, जानती हूँ अब कहेगा के गलती तो मेरी भी थी,
तूने अकेले ही प्यार नहीं किया, मैंने भी तो हर दम तेरा साथ दिया..!!
हां, मानूँगी मैं अपनी हर गलती, मुझे अपना हर गुनाह कबूल है,
तुझे जाने दूंगी ज़िन्दगी से, ये भी कभी न सोचा था, तेरे बिना मेरी भी तो ज़िन्दगी फ़िज़ूल है..!!
पर जा, अब भी वो इंतज़ार कर रही होगी तेरा जिसे छोड़के मेरे पास आया है,
जा, तू फिर अपना घर बसा इस इश्क़ मोहब्बत में कहाँ किसीने कुछ पाया है..!!-
जब तुझे लगे कि मुझसे मोहब्बत हो
गयी है तो मुझको अपना राजा
और मेरी रानी बन
जाना तुम!!
इंतेज़ार न जाने कब से कर रहा मैं तेरा
जो मिलो मुझसे तो मेरी ज़िन्दगी
व मेरी पूरी कहानी बन
जाना तुम!!
कि वादा है तुमसे,मेरा प्यार तुम्हारे
लिए कभी कम
नहीं होगी.....
सुना है कहते हो सुबह का सूरज मुझको,
आरजू है मेरी, कि मदहोश करती
ये शाम मस्तानी बन
जाना तुम!!-
ऐसे ही बनी रहे यह मस्तानी
मुस्कान आपकी...
कोई रिमझिम हो मानसून के
पहले की बरसात की।-
एक अलग ही अन्दाज़ है उनके अल्फ़ाज़ में,
जब जब भी पढ़ती हूँ दीवानी हो ही जाती हूँ।
एक अलग सा एहसास है उनकी हर बातों में,
जब जब भी सुनती हूँ मस्तानी हो ही जाती हूँ।-
वो मौसम मस्तानी सी
बातें उनकी रूहानी सी
हम बेफिक्र थे,
बिल्कुल निडर थे,
साथ उनके हाथ थामे,
चल पड़े हम दो दीवाने,
चलते चलते जो हो गयी शाम,
थी शाम वो दीवानी सी,
राहें भी अंजानी सी.....-
मैं बाजीराव
तू मेरी मस्तानी बन जा
पिरो दूं जिसको शब्दोंं में
ऐसी कोई कहानी बन जा
महक उट्ठूं मिट्टी की तरह
तू बारिश का पानी बन जा
बहक जाऊं जिसको सुनकर
ऐसी गज़ल कोई रूहानी बन जा
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तेरी दीवानी, तेरी मस्तानी, तेरी अदाओं की कायल मैं...
जब जब देखूं, जितनी बार देखूं तुझे, हो जाती हूं घायल मैं...-
पंडित जी-: "जजमान आप पर शनि की टेढ़ी है और ई हमेशा साथ रहेगा,संभल कर रहे! ✋
जजमान -: "पंडित जी ई शनि को भी YQ पर ले जाऊँ का🤔
वहाँ उनसे भी टेढ लोग मिलते है
पंडित जी-: ओसे का होगा 🤨
जजमान-: उ का है ना उनसे मिलते ही अपनी टेढ़ी भूल जाऐंगे😂🤣
पंडित जी-: बेहोश! गज़ब पागल है भाई🙄-
टूटे ख़्वाब थे तेरे,
उसमें मेरा क्या हिस्सा था?
भटके राह थे तेरे,
उसमें मेरा क्या किस्सा था?
ना सहा गया तेरा अंधेरा,
तो जल के उजाला कर दिया,
क्या उस उजाले की कद्र है,
क्या कभी मैं फ़रिश्ता था?
तेरे वासनाओं को ख़ुद पे सज़ा कर
मुझे कर्ण सा दानी नहीं बनना,
तेरी सब कुछ बनना चाहूं मैं
पर मुझे तेरी मस्तानी नहीं बनना।
तेरे झिझक को समझती रही,
उसमें मेरा क्या अनुराग था?
तेरे साथ हर मोड़ पे रही,
क्या बस मेरे भीतर ही वो आग था?
ना सहा गया आंसू
तो अपने पलकों पे लेलिया,
जो मेरे पलकों तले बहता रहा
क्या वो बस आंसुओं का मुझसे वैराग था?
आज सलाहें बंटती फिर रही की कभी किसी की
कहानी छिपाने वाली कहानी नही बनना,
तेरी सब कुछ बनना चाहूं मैं
पर मुझे तेरी मस्तानी नहीं बनना।
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