Ravindra kumar   (Ravindra kumar)
1.6k Followers · 1.9k Following

read more
Joined 3 November 2017


read more
Joined 3 November 2017
25 APR AT 23:22

मैंने खुशबूओं को जज़्ब करके रखा है
मैं जिस पर खुल जाता हूं महकने लगता हूं
मैं चुप रहता हूं खुले आसमान और घने जंगलों में
मेरी पसंदीदा शाख हो तो चहकने लगता हूं

-


20 MAR AT 20:01

मैं टूट गया अंदर से लेकिन
मैंने लहज़े नही बदले अपने

-


20 MAR AT 19:55

बच्चे भगवान होते होंगे किसी ग्रह पर
हमारे यहां उनकी जातियां होती है
जो उन्हें जीने से रोकती है
पानी पीने से रोकती है
चीज़ें छूने से रोकती है
जातियां 'आदमी' होने से रोकती है।

-


20 MAR AT 19:51

मर भी जाऊंगा तो सुकून कहां पाऊंगा
मैं जन्नत से ऊब जाऊंगा शैतान से बिगड़ जाऊंगा
मैंने मुश्किल से संभाला है खुद को
अब फिर से मिलने मत आना,
अबके बिखरा तो तेरे काबू में नहीं आऊंगा
सबसे करूंगा ताल्लुक खत्म और
करके पर्दा कहीं दूर भटक जाऊंगा
मैं फिर किसी के हाथ नहीं आऊंगा

-


19 MAR AT 22:56

मैं ठहर जाना चाहता हूं
नहीं चाहता की 'तुम' दौड़ाओ मुझे
मैं तुमसे मेरे हिस्से का 'मैं' मांगना चाहता हूं
लौटाओ मुझे !

-


19 MAR AT 22:50

किसी रोज़ शहर के किसी किनारे बैठ जायेंगे
आकाश के तारे गिनने
फिर आख़िर में हम दोनों एक दूसरे को गिनेंगे
जिंदा तारे
हाथ में हाथ डाले हुए तारे
खिलखिलाते झिलमिलाते हुए तारे
मुस्कुराते हुए तारे

-


6 MAR AT 19:21

दुश्वारियां
(कविता कैप्शन में )

-


7 FEB AT 23:37

मैं जो मारा जा चुका हूं बरसों पहले ! 
मुझ में ज़िंदगी ढूंढ़ने वाले तेरे हौंसले को सलाम !

-


5 FEB AT 22:44

आफ़ताब बेनूर हो जाये या आसमां से सारे तारे गिर जाएं
फूलों से खुशबू उड़ जाये या नदियों से नीर सूख जाए
मुझे मौत ही आ जाये लेकिन तेरी आंखों से आंसू ना आए

-


4 FEB AT 20:02

मेरे जैसा होना

-


Fetching Ravindra kumar Quotes