कुमार अविनाश   (जख़्मी_कलम)
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🖤💛A soul trapped in Human body
Whatsapp- 7004395846
Joined 4 January 2019


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वो मौसम मस्तानी सी
बातें उनकी रूहानी सी 
हम बेफिक्र थे,
बिल्कुल निडर थे,
साथ उनके हाथ थामे,
चल पड़े हम दो दीवाने,
चलते चलते जो हो गयी शाम,
थी शाम वो दीवानी सी,
राहें भी अंजानी सी.....

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मौज में निकल पड़ा हूँ मैं
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अपने मन के जज्बातों से हर रोज़ लड़ा हूँ मैं
फिसल गया था, अब तो थोड़ा सम्भल पड़ा हूँ मैं,
सख्त से इन रास्तों पर, पिघल पड़ा हूँ मैं,
वक्त की खोज में निकल पड़ा हूँ मैं
कि अपनी मौज में निकल पड़ा हूँ मैं ।।

रुकना नही है, अब तो आगे बढ़ पड़ा हूँ मैं,
बाधाएं तो आयेंगी ही पर चट्टान सा खड़ा हूँ मैं,
नई सी ऊमँग और सोच लिए चल पड़ा हूँ मैं,
वक्त की खोज में निकल पड़ा हूँ मैं
कि अपनी मौज में निकल पड़ा हूँ मैं ।।

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.....

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यादों की बारात चलो,
लेकर अपने जज़्बात चलो
अपनी कहो और कहते रहो,
थोड़े मेरे भी हालात सुनो
थोड़ी दूर तो साथ चलो ।।

सुन लेंगे वो भी अफसाना,
टूटा दिल हुआ बेगाना,
बेगानों की इस बस्ती में,
सिसकते मेरे अल्फ़ाज़ सुनो,
थोड़ी दूर तो साथ चलो ।।

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कहानी जैसी थी, उसके ही जैसा हो गया था मैं,
तमाशा करते-करते खुद तमाशा हो गया था मैं ।

ना मेरा नाम था ना दाम, बाजार-ए-मोहब्बत में,
बस उसने भाव पूछा और महँगा हो गया था मैं ।

बिता दी उम्र मैंने जिसकी एक आवाज सुनने को,
उसे जब बोलना आया तो बहरा हो गया था मैं ।।

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कभी किसी से दिल से दोस्ती
और दिल से मोहब्बत मत करना,
टूटने पर बड़ा दर्द होता है 💔💔

सदैव खुश रहने का यही उपाय है ।।

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अधूरी ख्वाहिशें, अधूरे ख्वाब
अधूरी मोहब्बत, अधूरे से अल्फाज,
अधूरी सी तुम भी अब उसके बिना,
अधूरा सा मैं और अधूरे मेरे जज्बात ।।

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लगा कर लाँछन मेरे किरदार पर कहाँ तक जाओगे तुम,
पास आकर भी अब तुम मेरे, मुझमे कुछ ना पाओगे तुम,
हो रही होगी बेसब्री तुम्हें मुझसे मिलने की अब तो,
कब्र पर मेरे आकर अब मुझे वापस कैसे बुलाओगे तुम ।।

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ये तुम्हारी खुशबू थी,
या फिर "सुबह का फूल महका",
ये जो आँखों में तिश्नगी थी तुम्हारे, मेरे लिए थी,
या फिर उन्हें देख कर तुम्हारा चेहरा चहका,
था क्या नशे में मैं रात भर,
या फिर तुम्हे महसूस कर मेरा दिल बहका ?
ये तुम्हारी खुशबू थी,
या फिर "सुबह का फूल महका"।।

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कुछ तो बात है उनपर विश्वास में,
जपता हूँ उनका नाम अब हर साँस मैं,
एक बार मेरी भी सुध ले लें वो,
रहते निरंतर जो कैलाश में,
हैं नीलकंठ वो महादेव, पशुपतिनाथ उनके है त्रिनेत्र,
वो अर्धनारीश्वर रूद्रशिव, हर लेते वो सबके कलेश,
जिद्द है उन्हें ढूँढने की अब तो,
निकल पड़ा हूँ उनकी तलाश में ।।

#हर_हर_महादेव

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