वो मौसम मस्तानी सी बातें उनकी रूहानी सी हम बेफिक्र थे, बिल्कुल निडर थे, साथ उनके हाथ थामे, चल पड़े हम दो दीवाने, चलते चलते जो हो गयी शाम, थी शाम वो दीवानी सी, राहें भी अंजानी सी.....
कुछ दरिंदो की दरिंदगी से रो रहा मेरा हिंदुस्तान है, कैसे आगे आएगी बेटियाँ, यही सोच कर सब परेशान हैं, इंसाफ की पुकार करे आवाम, और सरकार कर रही आराम है, बेटी-बचाओ, बेटी-पढाओ, ये नारा तो जुबान पर सरे-आम है, लेकिन बेटों को आजकल के माँ-बाप भूल रहे देना संस्कार हैं ।
कुछ दरिंदो की दरिंदगी से रो रहा मेरा हिंदुस्तान है, कैसे आगे आएंगी बेटियाँ, यही सोच कर सब परेशान हैँ ।।
मौज में निकल पड़ा हूँ मैं ---–------------------------------ अपने मन के जज्बातों से हर रोज़ लड़ा हूँ मैं फिसल गया था, अब तो थोड़ा सम्भल पड़ा हूँ मैं, सख्त से इन रास्तों पर, पिघल पड़ा हूँ मैं, वक्त की खोज में निकल पड़ा हूँ मैं कि अपनी मौज में निकल पड़ा हूँ मैं ।।
रुकना नही है, अब तो आगे बढ़ पड़ा हूँ मैं, बाधाएं तो आयेंगी ही पर चट्टान सा खड़ा हूँ मैं, नई सी ऊमँग और सोच लिए चल पड़ा हूँ मैं, वक्त की खोज में निकल पड़ा हूँ मैं कि अपनी मौज में निकल पड़ा हूँ मैं ।।
बोलो अब तो! मेरे साथ आओगे क्या ? ______________________________
मैने ढूंढ लिया है एक ठिकाना जहाँ बस जाए हम दोनों का आशियाना तुम फिर से बहाने बनाओगे क्या ? बोलो अब तो! मेरे साथ आओगे क्या ?
ये चुप्पी तुम्हारी जंचती नही तुम्हारे चेहरे पर देर हो जाएगी, हम थोड़ी देर और ठहरे अगर यूँ ख़ामोश रह कर फिर से मुझे रुलाओगे क्या ? बोलो अब तो! मेरे साथ आओगे क्या ?
तो क्या गलत हूँ मैं ? ------------------------------ नित नए आयाम बुनता हूँ, थकित होकर भी लम्बी दूरी चलता हूँ, दूसरों की बातें सुनता हूँ, पर सिर्फ अपने मन की चुनता हूँ ! तो क्या गलत हूँ मैं ?
प्रेम-वियोग से व्यथित हो चुका अब शिव के चरण में रहता हूँ, जीवन पथ पर सार्थक हो कर, फिर कान्हा कान्हा करता हूँ, तो क्या गलत हूँ मैं ?
एक यार पुराना मिला मुझे ------------------------------------------ एक यार पुराना मिला मुझे, अपनो का घराना मिला मुझे, सदियों से भींगी जो पलके थी, अब नया ठिकाना मिला मुझे, एक यार पुराना मिला मुझे ।।
मुरझाए से इन गालो पर, जो हंसी नही ठहरती थी, हँसने का खजाना मिला मुझे, जीने का बहाना मिला मुझे, एक यार पुराना मिला मुझे ।