दस्तक दी है दर्द ने आज,
लगता है मयखाना याद कर रहा हैं।।
वहां सकूं बहुत आता है कसम से,
सच्ची मोहब्बत वाले , एक गिलास 🍻 में दर्द जो बांटते हैं।।
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तूने नशा किया क्या ख़ाक किया
पी कर पड़ा रहा चौबारों पे
मैने एक बार किया और ख़ूब किया
अब लिखता हूँ मयखानों पे-
तेरे दिल की गली में इक मयखाना हुआ..!
जबसे तेरी गली में मेरा आना जाना हुवा...!!
गुलिस्ता भी ठहैर के पूछता मुझे...!
ऐ दिल नशीन मैं भी तेरा दीवाना हुआ..!!
नादान वो परिंदा जिसने पहचाना नहीं मुझे.!
पीता रहा जाम मै और शराबी सारा ज़माना हुआ..!!-
पीने से कम होते अगर गम ज़माने में..
तो खुदा बदलता समंदर मयखाने में...-
हर कोई गुम है यहाँ अपने ही ज़िन्दगी के फ़साने में
कौन करता है परवाह किसी की इस ज़माने में।
जाम पीकर भी बड़ा सुकूं मिलता होगा शायद
तभी तो जाता है इन्सां मयखाने में।
ए-साकी जरा प्यार सेे, दो घूँट तू पिला देना उनको
और देखना कभी, कितना दर्द छुपा है उनकी आँखों में।
वो तो ग़मों में डूबकर जाते थे मयखाने में
और वो पगली दिल दे बैठी उन्हें अनजाने में।
वो तो कब से अपना कृष्ण मान चुकी थी उनको
पर उसे वर्षों बीत गये उनको अपना बनाने में।
मीरा के जैसे इश्क़ वो करती थी उससे
मगर उस पगले ने इक उम्र गुज़ार दी उसे आजमाने में।
-"रिंकी सिंह"✍
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टूट पड़ते हम भी कभी उस मयखाने में ,
गर उन आंखों में शराब ना होती ।।
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इस कदर देखोगी तो संभल नहीं पाएंगे
निगाहों में ही डूबेगे मयख़ाने नहीं जाएंगे...-
हमको कर के तन्हा अब वो दीवाना चला गया
प्यास बुझती थी जहां वो मयखाना चला गया
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मंदिरो में हिंदू देखे
मस्जिदों में मुसलमान
साम को मयखाने
पहुंचा तब देखा इंसान-
पिला दो मुझे मयखाने की सारी बोतलें अगर हमारा नाम
भूल गए तो तुम्हारा मयखाना खरीद लेंगे।-