जैसे ही हम दोनों ने बात की
वैसे ही कल से और ज्यादा
मसला बिगड़ गया।-
जैसे रेत फिसलती है मुट्ठी से धीरे धीरे
वैसे ही मैं भी तूझे भूल जाऊंगी धीरे धीरे।
हाथों से रेत का फिसलना और यादों से
तुम्हें निकालना आसान नहीं है मेरे लिए।-
देखने के लिए मैंने बरसों इंतज़ार
किया तेरे आने का ,
तेरी एक झलक मेरी कई बरसों
की तपस्या की मेहनत का इंतज़ार है।-
जंजीर एक एक कड़ी को जोड़
कर जंजीर बनाई जाती है,
वैसे ही जोड़ कर के रिश्ते और
दोस्ती बनाए जाती हैं।
जंजीर की एक कड़ी टूटी तो
जंजीर किसी काम की नहीं रहती है।
वैसे ही अगर हम अपने रिश्ते,
दोस्ती को सहेज कर न रखें
तो वह भी जंजीर की तरह किसी
काम नहीं रहती है।— % &-
तुम यूं बारिश के मौसम में आए थे और पानी की तरह बह गए पता ही नहीं चला,
तुम आंधी की तरह आए थे और कब तूफान की तरह चले गए पता ही नहीं चला,
तुम नदियों में आने वाली बाढ़ की तरह आए थे और कब समुंदर में बहा कर चले गए पता ही नहीं चला।
तुम गर्मियों के दिन आए थे और सर्दियों में कब चले गए पता ही नहीं चला।
लगता है तुम कभी आए ही नहीं थे जो चले गए।— % &-
Hope your day beings with love
and ends beautiful memories— % &-
जरा अपना मंजर बदल कर देखो
कंकड़ पत्थर पर नहीं मगर आग पर
चल कर देखो
अपनी राहें आसान बदल कर देखो
— % &-
An online class is a
course conducted over the internet.
Real time, with teacher and students meeting
at the same time or asynchronously with
interaction between
teacher and students
occuring intermittently
with a time.— % &-
लोगों ने यूं अपनी जिदंगी को उलझनों
में डालने वाला बनाया है
क्यों लोग इसी उलझन को खत्म
करने से कतराता है?
हम भी तो जीना सीख जाते
अपनी मर्जी से पर इसे भी लोगों ने
अपनी पत्नी बताया है।
यूं तो मुंह पर कही हर बात
लोगों की अच्छी लगती है।
ना जाने क्यों लोग पीठ पीछे
बातें करके इतराते हैं?
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