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हम त खेलत रहनी अम्मा जी के गोदिया
करि गइले तबहि बिआह रे बिदेसिया
छव रे महिना कहि के गइले कलकतवा
बीत गइल बारह बरीस रे बिदेसिया-
उन्होंने हमसे पूछा कि कैसी लग रही हूं मैं आज
तो हमने भी एकदम भोजपुरी स्टाइल में कह दिया एकदम लल्लन टॉप!-
बहू सबके चाही बेटी कोई के ना
का हो विधाता, जिए देब कि ना ?
अन्न सबके चाहीं किसानी कोई के ना
का हो विधाता , खाए देब कि ना?
शहर में घर चाहिं गांव में कोई के ना
का हो विधाता पढ़े लिखे देब कि ना ?
जायदाद सबके चाहीं बाबू माई कोई के ना
का हो विधाता बुद्धि देब कि ना-
सूना प्राण प्रिय❤
हमरे माई के कुछ काम से आराम हो जात हो,
तोहरा नाम के पीछे अगर हमार नाम हो जात हो ।-
तनहा रहल त मोहब्बत करे वाला क
रशमे - वफा हवे
अगर फूल खुशी खातिर होत त केहू
जनाजा पर नाहीं डालत..-
बात सच्ची हम करूँ तो सुन ले ओ हमरी राधा,
हम तोहरा श्याम न होई सका पर तू हिस्सा है आधा,
जग भर में सब मोहे तोहरे ही नाम से जानत है,
हमरे नाम से पहले तोहरा नाम ही आवत है,
और प्रेम बंधन से बड़ा कऊनव बंधन नाहीं होइ सका,
दिल से रिश्ता जैसे जुड़ जाये उहइ जनम जनम साथ निभावत है.
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मत जिंही मजबूरी में
बात करी भोजपुरी में
पढ़ी लिखी कउनो भाषा में
खुद से समझी भोजपुरी में-
सावन में परल झूला सगरे बाग बगईचा में
जब अईहें ननद के भइया झूलब संगवा में-