मेरा अस्तित्व नदी सा है
शांत स्थिर
सदैव जीवनदायी
क्योंकि तुमने बांध रखा है
मजबूत किनारे की तरह
जो कभी न रहे तुम
मुझे संभालने के लिए
तो मैं फिर भी बहूंगी किनारे तोड़ कर
बिल्कुल किसी बरसात में
आवेग से भरी नदी की तरह
जो ले कर आती है
विध्वंस और बदलाव
तुम सदा मेरे किनारे बने रहना-
Mompreneur
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