✍️"मित्र के परिजन, पार्टी एवं हम "
बन्दोबस्त बेहतरीन थी जो परिजन उनके, खुशी से बिंदास खा रहे थे।
दूर से निहारते ही रहे हम शाकाहारी बन वहाँ सभी हड्डियाँ चबा रहे थे।
आदतन शाकाहारी ठहरे तो मिलावट चम्मचों में देख रात भूखा सोए!
भूला दिया था उसने हमें हमारी पसंद से अनभिज्ञ थे सोच हल्का रोए!-
सुबह भूखे पेट
निकल पड़ते हैं लोग
दिनभर दो रोटी कमाने।
और फिर शाम खाने को
हाथ आयी थाली भी
किस्मत छीन लेती
किसी बहाने।।
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कोई भूखे पेट न सोए,
तब मानो आज़ाद हैं हम..!
कोई लाचारी से ना रोये,
तब मानो आज़ाद हैं हम...!
कोई न्याय पे आस न खोए,
तब मानो आज़ाद हैं हम..!
#स्वतंत्रता दिवस की शुभकामना
सिद्धार्थ मिश्र
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पता नहीं अब मौत कैसे आएगी
भूखे पेट गले मिलेगी
या घर की ओर निकले हैं
तो चलते हुए रास्ते में आएगी.-
सबसे बुरा है रोग यह लोगो जिसका नाम ग़रीबी,
फेर के मुँह निकल जाते हैं रिश्तेदार क़रीबी।
खाने को नहीं दाना घर में न तन पर हैं कपड़े,
ख़त्म ही नहीं होते हैं इस जीवन के लफड़े।
घर से निकलूं रोज़ कमाने ख़ाली हाथ मैं लौटूं,
अपने बच्चों के अरमानों का गला रोज़ मैं घोटूं।
भूखे पेट नहीं कटती हैं सर्दी की लम्बी रातें,
रातों की तन्हाई में रहती हैं जागती हरदम आँखें।
हे भगवान दुआ है इतनी कर लो अब मंज़ूर,
रोटी, कपड़ा, मकान को न तरसे कोई मजबूर।-
दुख का दरिया
शर्म का समंदर होता है
सबसे खौफनाक
भूख का समंदर होता है.....??-
भूख जिसे कहते हैं,अक्सर रात को नहीं सोने देती
जब तक शांत नहीं हो जाती , नींद नहीं आने देती
भूखे पेट न भजन ही होवे , नहीं रातों को भी सोए
जब तक नहीं हो उदरपूर्ति , आंख नहीं लगने देती
दिन तो जैसे तैसे गुजर जाए,रात नहीं है गुजरती
पेट में जब तक चूहे दौड़ते,आंख भला कैसे लगती
भूखे पेट काम नहीं होवे , नहीं रहती है हिम्मत ही
पेट भरेगा पहले तो वो , चाहे करेगा कोई जुगती
भूख न जाने रुखा सुखा , नहीं ताजा नहीं बासी
भूख का करो इलाज तो अव्वल,जाँ में जाँ आपाती
भूख ना देखे जात, धर्म,मठ, मस्जिद,पंथ,ठिकाने
भरा पेट ही बिगाड़ करेगा ,करेगा मस्ती,लड़े कुश्ती
यह भूख जिसे कहते हैं.....-
मयखाने का हर शक्स खुद को आशिक़ कहता है लेकिन
अधूरे फसल और भूखे पेट का रंजोगम वो क्या जाने-
सुनो
आज करवाचौथ है
सुना है आज ब्रत करते है
मैंने नहीं किया
तुम्हारी लम्बी उम्र और
अच्छी सेहत की कामना के लिए
कोई एक दिन हो
मुझे मंज़ूर नहीं है
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जयचंदों ने भरा खजाना, लूट–लूटकर देश।
मरते यहाँ गरीब बेचारे, घूमें भूखे पेट ।।-