सुबह-सुबह फोन कर 'गुड-मॉर्निंग' विश करना
तब जरुरी नहीं जिम्मेदारी बन जाता है; जब पता हो कि
मेरे फोन के इंतज़ार में कोई उठकर भी नहीं उठा है।-
भावनाओं की छाया लिखना,
प्रेम और श्रृंगार लिखना,
वक्त की मार लिखना,
जनता की आवा... read more
खुद से खुद को जोड़ रहा हूँ
सारी उलझन छोड़ रहा हूँ
मैं उसका हूँ वो मेरी है
सबसे नाता तोड़ रहा हूँ
बहुत जिया मैं पाबंदी में
रुख़ आज़ादी मोड़ रहा हूँ
चाँद हमेशा एक ही होता
ये परिभाषा जोड़ रहा हूँ
दुनिया केवल इक महफ़िल है
जाओ महफ़िल छोड़ रहा हूँ-
मेहनत के तार अगर मंजिल से न मिलें तो संघर्ष के छाले गुमनाम हो जाते हैं;
उन्हें न कोई देखता और न कोई सुनता।-
मज़बूरी में गधे को काका कहना पड़ता है
अश्रु निरंतर भले बह रहे हँसना पड़ता है
सबको अपनी–अपनी चिंता खाये जाती है
देश प्रेम में वतन की खातिर मरना पड़ता है
क्या तेरा है क्या मेरा है रेखा मत खींचो
नेक काम से सबके दिल में रहना पड़ता है
उम्मीदों में हार–जीत से युद्ध नहीं होते
शांति चाहने खातिर भी तो लड़ना पड़ता है
इश्क़–मोहब्बत आज़ादी का नाम दूसरा है
आज़ादी की चाहत में भी चलना पड़ता है
कौन यहाँ अपना है बोलें कौन पराया है
हाथ मिलाकर दुआ–सलाम करना पड़ता है
चलते- चलते थक जाते हैं मंजिल दिखती है
राह नहीं बदले हैं लेकिन रुकना पड़ता है-
यहाँ पर हम अकेले सो रहे हैं
उधर वो भी अकेले सो रहे हैं
न पूँछो हाल कैसा है मेरा अब
थोड़ी आवारा अब हम हो रहे हैं
जिन्हें नजदीक होना चाहिए था
वही अब दूर हमसे हो रहे हैं
मोहब्बत बख़्श दे अब ज़िन्दगानी
मेरे चर्चे ही चर्चे हो रहे हैं
मेरी किस्मत में अब कुछ भी नहीं है
जिन्हें पाना है उनको खो रहे हैं
कभी हँसकर गले लग जाओ तुम भी
ये दुनिया है यहाँ सब रो रहे हैं
किसी से क्या कहें अब दर्द 'शुक्ला'
वो किस्से थे पुराने हो रहे हैं-
मुझे हर बाग़ में
तुम्हारा इंतज़ार रहेगा
तुम्हारी एक झलक को
लालायित हूँ मैं इसलिए
हर बाग़ में,हर जन्म में
इंतज़ार रहेगा।जरुरी
तो नहीं कि चाहत इस जन्म में
पूरी हो और यह भी जरुरी
नहीं कि इस चाहत के जन्म
लेने का यह पहला जन्म हो
इसलिए मिलने तक यह इंतज़ार
जारी रहेगा।-
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गुरु समाज की नींव है, गुरु मंजिल की नाव।
गुरु ही जीवन वृक्ष है, गुरु है धूप और छाँव।।
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ऐ अज़नबी!
अब तुम अज़नबी भी तो नहीं रहे। तुम्हारा बार-बार आने वाला ख़्याल, तुम्हें अब दिल के बहुत करीब ले आया है। भले तुम्हारे और मेरे दरम्यां दूरी बची हों; परन्तु आने वाला हर ख़्याल तुम्हें मेरे दिल के बहुत क़रीब पाता है। हर सांसों में तुम मौजूद हो या यह कहूँ कि तुम्हारी मौजूदगी के एहसास में ही साँसें चल रही हैं। इस मौजूदगी के आभाव में सांस ले पाना मुश्किल सा प्रतीत हो रहा है। तुम हो यहीं कहीं और दिल के सबसे करीब यह सच है या भ्रम जो भी हो, है बहुत खूबसूरत।-
आज शाम बे-रंग है; इसलिए नहीं कि मौसम खराब है। इसलिए कि रोज दोपहर के बाद बजने वाली फोन की घंटी अभी तक बजी नहीं। और अब बजेगी....अब बजेगी के इंतज़ार में शाम हो गयी।
बात होने में जो मज़ा नहीं है वो मज़ा उस बात करने तक पहुँचने के इंतज़ार में है। हाँ अब रात होने को है; लेकिन तुम याद रखना......तुम्हारा इंतज़ार बाकी है।
मुझे पता है यह इंतज़ार दोनों तरफ बराबर है। बस कुछ अनचाही चीजों ने रास्ता रोक रखा है। समस्याएँ पूछ कर नहीं आती सच कहते हैं लोग। लेकिन चाहत ज़िद वाले ही पूरी कर पाते हैं; यह भी याद रखना चाहिए।-
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वो दुनिया की निगाहों में, मैं हूँ उसकी निगाहों में।
समाया जिसकी आँखों में, उसी के साथ चलना है।।
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