भटकता मन आगे और जाएगा,
अभी तो यह यात्रा की शुरुआत है!
शब्द है अभी आधे अधूरे जड़वत,
भावनाएं निःशब्द ही स्वीकार्य है!-
जज़्बात
एक खिलौना...
तुम दूसरों की भावनाओं का मखौल बहुत बनाते हो ,
आज खुद की बारी आई तो मातम क्यों मना रहे हो
जज्बातों को खिलौना समझ के सभा में रंग जमाते हो ,
खुद आज खिलौना बने हो तो फिर जज़्बात क्यों दिखा रहे हो
अल्प ही समझते हो बाहुल्य क्यों बुझा रहे हो....,
अरे कुछ भी समझते हो पर प्रचण्ड से क्यों उलझ रहे हो
दूसरों की अस्मतों को नीलाम करके महफ़िल बहुत सजाते हो ,
आज खुद पे बात आई तो सजी शाम को रात क्यूं बता रहे हो
अहंकार में उत्तेजना बहुत है जिस स्रोत में तुम पल रहे हो ,
राह सरल और सुगम है तो क्या सफ़र आसान क्यूं समझ रहे हो
जज़्बात से प्रेम भी कल्प हैं सिर्फ रक्त सम्बन्ध जतला रहे हो ,
भावना सम्मान की सुरक्षा हो दूसरों में अभाव क्यों बतला रहे हो
क्षीण शक्ति विवेकशील कितने बड़े बने
इठला रहे हो , वर्तमान में खुद की आकार को माप लो
पुरानी आधार क्यूं दिखा रहे हो ।
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दुनिया में ना जाने कितने खेल खेले जाते है..
लेकिन,
भावनाओं के साथ खेलना
लोगों का सबसे पसंदीदा खेल है...!!!-
ऐसा नहीं हैं जनाब कि कोई ओर नहीं हैं आपके जैसा।
बस फर्क इतना हैं वो options हैं ओर आप selection.-
आज हर कोई चाहता है की,,
लोग उसकी भावनाओं को समझे ,,
पर यह कोशिश कोई नहीं करता की,,
वो खुद दूसरों की भावनाओं को समझे 🌷-
मेरी राधे मेरी मुस्कान है
वो मुझसे रूठे
मनाने मैं जाऊँ उसे
वो कहे मैं न मानू
ऐसा हो नी सकता
ये सम्मान राधे के लिए
मेरे विश्वास के लिए
मेरी मन के भाव के लिए
मेरी राधे के लिए है
🙏💞जय श्री राधे 💞🙏-
जो भाव आपकी आँखों में
किसी और के लिए
होते है
उन्हीं भाव से कभी आप
खुद को भी परखना
दावा है मेरा
आईने से
आँखे ना मिला सकोगे-
इंन बारिशों का इल्जाम भी अब ;,;,
आँख से ना बह पाने वाले आँसुओ पर है
"शब्दिता" तू तो असरदार अब कुदरतो पर है-
स्पर्श
क्या जरूरी है
शारीरिक हो
मेरे लिए एक अनुभूति है
बिन छुए
आपकी भाषा के स्वर
आपके आँखो के भाव
से भी प्रकट होता है
यूँही-