अक्सर सोचती हूँ। क्या होता अगर तुम होते.............. कहने को शायद बहुत अल्फ़ाज़ होते। मुस्कुराते चेहरे पर बस तेरा नूर होता। हजारों कहानियों का एक मुकाम होता। अल्फ़ाज़ों की जगह शायद इशारों की भाषा होती। मोहब्बत को दिखाने की नही महसुस करने की बारी होती।