जीवन बहुत छोटा है, उसे जियो...
प्रेम दुर्लभ है, उसे पकड़ कर रखो...
क्रोध बहुत खराब है, उसे दबा कर रखो...
भय बहुत भयानक है, उसका सामना करो...
स्मृतियां बहुत सुखद हैं, उन्हें संजो कर रखो..
अगर आपके पास मन की शांति है तो...
समझ लेना आपसे अधिक भाग्यशाली कोई नहीं है.!!
🌷आपका दिन शुभ हो🙏🌷-
घरों में नहीं रहते अब कोई,
सब बाहर घूम रहे हैं
कोरोना के ड़र से भयमुक्त होकर,
जैसे सब मस्ती में झूम रहे हैं|-
प्रेम पर लिखी गयी मेरी कविताओं
को लाया गया शक़ के दायरे में
संदेह किया गया मेरे लिखे एक एक शब्द पर
ढ़ूढ़ा गया मेरी काफीये मे ना जाने किसको
इसलिये प्रेम पर लिखी मेरी कवितायेँ सिमट गयी;;;
महज हृदय के कागज पर
मस्तिस्क में खिचे धागों मे ऊलझ गयी अक्सर
प्रेम पर लिखी मेरी कवितायेँ
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ये कविताएं मेरी
वैसे तो सरल और साधारण ही थी
पहले से ही ,
हां, थोड़ी सी बेफिक्र जरूर हो गई हैं
तुम्हारे आ जाने से ,
नहीं डरती अब
चलने से
किसी भी राह पर,
अल्हड़ सी घूमती फिरती हैं
हर जगह !!-
जिसके अंदर जितनी शांति है
वह उतना ही भयमुक्त है।
जो जितना अधिक अशांत है
वह भय से उतना ही व्याकुल है।-
चोट लगी मगर लगनी तों नहीं चाहिए थी,
घाव काफ़ी गहरा था, फिर इतना जल्दी भरना तों नहीं चाहिए था।-
आज शहरात एक चक्कर मारता
माझ्या असे लक्षात आले,
विसरले वाटतं लोकं कोरोनाला
सर्व व्यवहार पूर्वीप्रमाणेच चालू झाले.-
है.
होने में सदा खोने का भय शामिल रहता है।
नहीं.
नहीं होना हमें भयमुक्त कर देता है।-
मां....
तुम पूजनीय हो, वन्दनीय हो....
तुम जननी भी मेरी, सूत्रधार भी....
नौ दिनों का उत्सव, महापर्व भी हो...
विचलित मन की शांति अपार भी....
हो अहंकारी मैं खुद विनाश जो बनूं....
खींच लाती हो शून्य पर बार-बार भी....
जो जड़ें मेरी हिली "मोह" के मोह में....
रोक लेती हो खोने से मुझे हर बार ही....
मैं मौन पर निश्चिंत हूं, संभल जाना है....
चाहे डगमगाऊं, इस पार भी, उस पार भी....-