Divya Joshi   (दिव्या)
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Stating the obvious.....
Joined 13 April 2019


Stating the obvious.....
Joined 13 April 2019
28 JAN 2022 AT 21:12

सफ़र-ए-जि़न्दगी भी मेरा तारों सा हो,
ख़त्म भी हो जाऊं तो वजूद चमकता रहे....
किस्से मेरे बस नदियों का वो फ़साना,
उठें पहाड़ों से, बना रस्ता समंदर को बहे....— % &

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23 JAN 2022 AT 18:28

रणभूमि तेरी ही सही,
योद्धा का तो धर्म से अनुबंध....
हाथों ने तलवार छोड़ी है,
हुनर नहीं....

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22 JAN 2022 AT 20:35

इस तरह रेत में तपे और सुलगे हम,
कि बूंदें भिगाती नहीं, जलाती हैं....
"नाज़" हमारी "शर्म" में हुआ तब्दील,
कि ये बूंदें बुझाती नहीं, जगाती हैं.....

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19 JAN 2022 AT 19:43

वो अंदाज-ए-बयां तंज कसता गया,
हम डूबते गये, वो हंसता गया....
सोचके सागर, मन गहराईयां में जो उतरा,
वो दल-दल था गहरा, बस धंसता गया....
वो शिकंजा भी था मख़मली पहले-पहल,
अब बाड़े सा बन मन को कसता गया....
इक रोज़ फिर होश में जो आने लगे हम,
"आज" भी न दिखा, "कल" भी फंसता गया....
फिर जो खेली सालों की आंख-मिचौली,
आंखों खुली, कदमों ने पा लिया रस्ता नया....
कदमों ने पा लिया रस्ता नया....

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13 JAN 2022 AT 14:46

आइए, बैठिए, देखिए और राख हो जाइए,
पर तपिश हो इस कदर, कि पाक़ हो जाइए.....
जो मैं आ जाऊं जहन में तो झरने सी बहूं,
और न सिमटूं तुम्हारी हदों में, तो ख़ाक हो जाइए!

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9 JAN 2022 AT 22:29

"नायक" बनने की होड़ में...
"लायक" बनना भूल गया...
बना जीवन का सार परोपकार...
जलता घर वो भूल गया...

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9 JAN 2022 AT 18:22

तेरी ज़मीं पर न सही,
गैर पर लहलहाउंगी....
मैं बीज अब संतोष का,
चुपके से जड़ जमाउंगी....
मैं पत्तीयां अब प्रेम की,
मैं ओस को पी जाउंगी....
मेरे पुष्प अब विश्वास के,
होंसले से सब महकाउंगी....
पर हो जो मेरे प्रयास सब विफल,
मैं बीज हूं ब्रह्माण्ड का....
लौट कर फिर आऊंगी....

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8 JAN 2022 AT 11:20

कर्म साधना शस्त्र बना,
जब भय बेड़ियां जो तुम काटो....
धर्म नेत्र बन बने सारथी,
ये गूढ़ रहस्य जो तुम जानो....
तो कोई विपदा का रह जाता अब कोई भी अर्थ नहीं,
ये कर्म भूमि है, रणभूमि है....
हर लहू-बूंद स्वर्ण सम, हर श्रमकण भी व्यर्थ नहीं!

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4 JAN 2022 AT 21:25

सफ़र का सफ़र कुछ इस कदर रहा,
की हम वहीं रहे खड़े, हमसफ़र कट गया.....
की अब न पूछो मंज़िलों का पता हमसे,
की कोहरा डटा रहा, पर रस्ता ही हट गया.....

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1 JAN 2022 AT 23:59

छिथले पानी को मान समंदर,
क्या-क्या डुबोया, कितने अंदर....

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