Ab to khud se hii...!
dar sa lgne lga h sahab..!
Pta nhiiii kyun..?
Pr jb sapne, apne hi samne..!
Yun tut tut kr bikharne Lge to...!
Insaan "बौखला" sa jata h..!-
फिज़ाओं में आज उनके
आने की आहट सी है..
दिल में आज धड़कनों
की बौखलाहट सी है...
ज़ुबान पर आज लफ़्ज़ों
की शरारत सी है..
इंतज़ार को आज उनसे
शिकायत सी है...
लगता है आज होने को है
उनके इश्क़ की मुझ पर
इनायत सी है✍️✍️
-
उसको तेरी परवाह नहीं
उसकी निगाह है अब भी वहीं
धुंध हो चुकी है दूर अब
बौखलाहट तुम्हारी कह गई सब
-
दरकते रिश्ते के गुनहगार ज्यादा तुम हो
मेरी नादानियां,भोलापन कभी तुमको जो बहुत भाता था,
मुझकों लगा तुमको इसी पे प्यार आता था,
आज उन्ही पर बौखलाहट क्यों है?
जब में बौखलाऊ क्यों पीछे हट जाते हो,
थोड़ा प्यार थोड़ा गुस्सा खुद नादान बन जाते हो
और फिर मेरा बात-बात पर मज़ाक बनाते हो,
तुम भी कुछ कम नही हो-
हो ही जाती है हार के बाद बौखलाहट। इनकी कुछ ज़्यादा ही बढ़ जाती है।
समय लगेगा,हो जाएगी सेहत ठीक।-
बौखलाहट से पता चलता है अब हार जायेंगे
अब झूठ बोलकर लगता है फिर से जीत जायेंगे
जनता कितनी मूर्ख है उन को ये बात पता है
तभी तो झुठे वादे करके फिर से जीत जायेंगे
कितना कुछ बदला है उनकी सोच में देखो
देश के लिए शहीद हुए उन्हें भ्रष्ट कह के जीत जायेंगे
हर एक को उलझन में डाल कर आगे गये
मगर फिर भी आपस में उलझा कर जीत जायेंगे
अपने आप पास झूठों का जमावड़ा लगा रखा है
लगता है इसी झूठ के कारण इस बार हार जायेंगे-
बादलों से, अथाह,अंबार, रिस रहा है पानी..
गर्मियों में तड़पे थे पंछी, बारिश में मनमानी..
क्या जताना चाहता है, अशआर दे ख़ुदा..
तेरी ये बौखलाहट, हम किसीने न पहचानी..-
बेताबियों का आलम देखो ..
मेरे इश्क का सितम देखो..
ख्वाहिश है ’दर्द ए दिल सुनाना..
पर मिलता हीं नही ’कोई बहाना..
जिसको मेरे खरोच से भी था परहेज..
उसके आगे खुलता भी नहीं ,गम देखो...
गले लगने की अजीब सी चाहत देखो..
है जिससे दर्द , उसी मेहबूब से है राहत देखो..
उसे भी है कश्मशाहट हाल सुनाने से..
मजबूरियों की ये झुंझलाहट देखो..!-
दिन कुछ ऐसे गुजरते है आजकल।
भीड़ में भी कुछ तलाशते है आजकल।
सुकून खुद को एक आइना में मिला।
मैंने खुद से, टुकड़े भी इतने किया।
टूटे टुकड़ों में फिर भी एक मैं ही दिखा।
सब बिखरा हुआ, पर नजर एक ही आया।
तब लगा शायद आइना ने भी मुझे झुठलाया।
-