वो प्यार तो था ही नहीं,
जो बुझ गया इतनी आसानी से।
हैरानी होती ये सोचकर,
कैसे नाता तोड़ दिया था जिंदगानी से?
हर पल उसका ख्याल मन में होता था,
कैसे उसको भूल गया अपनी कहानी से?
वक़्त को याद करता हूँ अपने, तुम्हें नहीं
दिल लगा लिया था हृदयहीन प्राणी से🤣🤣🤣
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उसको भरोसा था,
मैं एक दिन बदल जाऊंगा।
मैं भी उसे झूठा कहाँ साबित होने देता,
लो बदल गए हम।-
सोचा था पहाड़ों पे जाके मन बहल जाएगा,
ये क्या!
ये एकांत भी अब शोर लग रहा है।
तुम्हारा खयाल यूं चुभ रहा है,
जैसे गले में सांस अटकी हो किसी के आखरी।
मन चिढ़ गया है खुद से
जैसे तुम चिढ़ गयी हो मुझसे
आखिर ये खयाल,
खयाल कब कब तक रहेगा?
हक़ीक़त भी होगा या नहीं?
मगर
उम्मीद पूरी है,
वक़्त वो दूर नहीं
जब तुम इसे हक़ीक़त में बदल दोगी।
मैं तो इंतज़ार करता रहूंगा।-
कुछ इस तरह,
हफ्तों पहले तुम्हारा फ़ोन
आता था इतवार को,
आज भी इतवार था,
पर अब शायद तुम्हारी इतवार की फुर्सत
किसी और के लिए होगी।
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?
कभी पूछ लो हमसे।
वक़्त तो निकालो
अपनी महफिलों से।
क्या पता
जानकर हाल हमारा
खुश हो दिल तुम्हारा।-
बहार के बाद ख़िज़ाँ आती हो जैसे।
हम तुझे भूल रहे हैं ऐसे
कच्चे धागे से पहाड़ चढ़ रहे हों जैसे।-
कदम जो रोकूँ
तो धुंधली सूरत तुम्हारी दिखती है।
कदम आगे बढ़ाऊं
तो तुम मेरे साथ नहीं हो।-
मुझे माफ़ करना
हालात यूँ हैं के
दिल कहीं लग ना जाये डरते हैं,
गर तुम भी झूठे निकले तो
बहुत मुश्किल है
फिर बाहर निकलना।-