प्यार इश्क मोहब्बत किरदार ऐसा है
जिसे ये ना मिले एकदम बेकार ऐसा है
मालूम होता अगर वो रुठ जाते है
हम जिंदगी भर करते इंतजार ऐसा है-
तेरे बात करने का लहज़ा कुछ बदला बदला सा हैं
बता ... read more
मुझे तेरा साथ चाहिए उम्र भर के लिए
तु मुझे जाने क्यूं मिली पल भर के लिए
हर चीज भुला दिया मैंने तेरी खातिर
तु मुझे याद आती रही हर पल के लिए
जान भी दे देता मैं तेरी खातिर वरना
रात सपनों में आई इक पल के लिए
मुस्कुराना याद अब भी आता है तेरा
जाने क्यूं दूर गयी तू हर पल के लिए
यादों में बसा रक्खा हूं इस तरह आरिफ
तू जैसे मिली हुई है मुझे उम्र भर के लिए-
इश्क़ में रुठना भी जरूरी होता है
बिछड़ कर चलना भी जरूरी होता है
ना जाने कौन मिल जाए रास्ते में
घर से निकलना भी जरूरी होता है-
अजीब रंग है अपनी मुहब्बत का
जो लगाने से भी चढ़ता नहीं
पता नहीं क्या बात है उसकी
नाम मिटाने से भी मिटता नहीं
जो कभी हमारे दयार में रहें
वो हटाने से भी हटता नहीं
क्या मसला है समझ आता नहीं
यार समझाने से भी समझता नहीं
मुश्किलें बढ़ गई है अब उसकी
आरिफ रुलाने से भी रोता नहीं-
चारों तरफ शोर अपना वाला चोर है
अमीरों को देता है गरीबों को लुटता है
ना पेट्रोल और डीजल का दाम बढ़ा
आम लोगों के लिए तेल का दाम बढ़ गया
खोजती है निगाहें उस आदमी को आज भी
जिसने कहा था जब चाहो चौराहे पर बुला लेना
कितनी बेशर्मी से झूठ बोलते है आज भी
मुलाकात हो जाए तो सच पता चल जाए
अभी ना जाने क्या क्या देखने को मिलेंगे
हिन्दू मुस्लिम के अलावा देखने को और क्या मिलेंगे
डर हमेशा बना रहता है दिल में वतन को लेकर
आरिफ ना जाने क्यूं जीना मुश्किल अब लगता है-
इस कदर उनसे मोहब्बत हो गई
फिर से वो अपनी जिंदगी बन गई
बहुत रास्ते थे चलने के लिए मगर
एक रास्ते पर चलने से जिदंगी बन गई
मलाल था बहुत वो अपने नहीं होगें
चाहत थी इस कदर की जिंदगी बन गई
घर से निकला था मंजिल के लिए
उसे देखा वो अपनी जिंदगी बन गई
हर बार मैं ही गलत नहीं था आरिफ
उनका भी हाथ था जो जिंदगी बन गई-
हाथ से हाथ मिलाईये और हालात को बदलिये
हाथ ही आप हालात बदल सकता है
हाथ से हाथ बढ़ाए मिलकर साथ चले
वक्त की यही पुकार है मिलकर साथ चले
इस सड़ी हुई मानसिक बिमारी से बाहर निकलिये
बदलने का वक्त है अपने हालात बदलिये
फिर मौका नहीं मिलेगा मिलकर साथ चले
वक्त की यही पुकार है मिलकर साथ चले
-
हालात फिर से बदलते नज़र आ रहें हैं
हमें वो पहले की तरह बीमार नज़र आ रहें हैं
इक वक्त था की सब कुछ उनके पास था
आजकल वो यहाँ वहाँ फकीर नज़र आ रहें हैं
नज़रें नहीं मिलाते किसी से अब पहले की तरह
जहाँ देखों वो बस झूठ बोलते नज़र आ रहें हैं
इतना गुमान है तो काम पर वोट मागों साहेब
लोगों को गलत बातें बताते नज़र आ रहें हैं
अब दिल भर गया है उनकी झूठी बातें सुनकर
आरिफ अपने लोगों को गलत नज़र आ रहें हैं-
कभी मेराज, कभी शब-ए-बारात, तो कभी शब-ए-क़द्र,
कितना मेहरबान है हमारा रब , बख़्शिश के हज़ारों वसीले देता है..
🤲-