Manju Singh   (MS)
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Joined 10 November 2017


Joined 10 November 2017
7 OCT 2023 AT 11:03

बर्फ़ बहुत ज़्यादा जम जाए तो कई मौसम लग जाते है उसे पिघलने में।

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11 SEP 2023 AT 21:57

सुलझ ही जाती है हर गुत्थी
समय थोड़ा तो लगता है
थोड़ा संयम,थोड़ी समझ
बहुत सारा जतन और
थोड़ी ज़द्दोजहद भी लगती है
लेकिन ज़ोर आज़माइश तो
अक्सर ही
वो धागे तोड़ देती है
जो कहीं अब भी जुड़े होते है
और-------
फिर उसके बाद जो बचता
वो बस गाँठ रहती है।
न धागे पहले से,
न ही वो बात रहती है।

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9 SEP 2023 AT 18:45

अपनी पहचान न मिटने देना
और के रंग न ढलने देना
संभाले रहना खुद को
खुद जैसा
तुम्हारे हिंसा कोई और है
न होगा कभी
हरेक शख़्स ख़ुद में खास
बहुत ख़ास यहाँ
ख़ुद के जैसा कोई न पाओगे
ढूँढ़ के देखो चाहे सारा जहाँ

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9 SEP 2023 AT 18:34

झाँकने लगी
उन दरीचों में से
हल्की सी धूप
जो कई मौसमों से
अंधेरों में रहे
ये आहट है
आने वाली
खुशियों की
उजालों की
मिल बैठने की
उन दोस्तों के साथ
जो गुनगुनी धूप के साथी हैं

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9 SEP 2023 AT 15:37

मंज़िलें भी उन्हीं को मिलती हैं
जिनके पंखों में जान होती है
पंख मिलने से कुछ नहीं होता
हौसलों से उड़ान होती है

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2 JUN 2022 AT 18:47

किसका रस्ता देख रहे हो
कोई नहीं आने वाला
वादा करते हैं भूल जाने को
है भला कौन निभाने वाला!

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2 JUN 2022 AT 9:33

मंदिर मस्जिद काबा काशी
गंगा जमना भूल गए
पेट में आग लगे जब तो फिर
केवल रोटी याद रहे।

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2 JUN 2022 AT 9:27



अतीत को खोदने से भविष्य नहीं सँवरता। हाँ, वर्तमान ज़रूर गर्त में चला जाता है।

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27 MAY 2022 AT 14:40

हर राज़ फ़ाश हो जाता है
जब आँखें बोलती हैं।
कुछ भी कहता रहे कोई
ये सब बयाँ कर जाती हैं
होठों की हँसी को
बड़ीआसानी से झूठा बना जाती हैं
इनकी साफ़गोई
तोड़ जाती है दिल कभी
तो कभी अल्फ़ाज़ हार जाते हैं
इनकी मासूमियत पर
जीत जाती हैं खामोश आँखें कभी
और आँखें जानबूझ कर भी
कभी हार मान जाती हैं
आँखों की दास्ताँ
आँखें ही समझ सकती हैं।
कोई सीने में रखता हो दिल
तो बिन कहे समझ ले
दिल के जज़्बात
आँखें करती हैं आँखों से
आँखों में बहुत बात।

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2 MAY 2022 AT 17:18

मरे हुए रिश्तों को जिलाने की कोशिश करना बेवकूफी है। वो जी भी गए तो बीमार ही रहेंगे।

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