बेखयाली में आपको भी उनका
ख्याल आता है क्या ???-
यूं ही कभी सितारों के आसपास दिखो
चांद की बस्तियों में अब न तुम उदास दिखो।
प्रीति-
नींद सरकती राह भटकती जाने कितनी दूर गयी
रात की चौखट रोज परेशां ख्वाहिशें थक कर चूर हुई।
प्रीति
३६५ /११८-
बेखयाली में भी तेरा ही खयाल आए,
क्यों बिछड़ना है जरूरी ये सवाल आए...-
आज तर बतर है दिल उसकी यादों से
मिले जो उस जैसा कोई साथी तो सुकून आए
मिले है लाखो मुसाफिर से इस दुनिया की भीड़ में
पर हो कोई उस जैसा या फिर उस सा नजर आए
वो लाए मरहम मेरे इस दर्द ए दिल का
या फिर इस दर्द मै ही जीने का मुझ में हौसला या जूनून जगाए
वो चाहे तो लौटाए फिर से बारिश भी खुशियों की
या फिर मुस्कान से ही अपनी वो मेरे दिल के जख्म से भर जाए
रहे वो उम्र भर साथी बेशक ही मेरे ख्यालों में
पर असर ऐसा हो कि मुझको बेखयाली में भी उसका ही ख्याल आए
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सुनो !
ख़याल रखो अपना, तब तो दूर रहें तुमसे,
यूँ बेख़याली में नज़दीकियां अच्छी नहीं लगती,-
ये तेरा ही तो "खयाल" है,
जो "बेखयाली" का एहसास कराता है,
तुझसे "दूर" होकर भी,
तेरे "करीब" होने का एहसास कराता है,-
ये तेरा ही "खयाल" है,
जो "बेखयाली" का एहसास कराता है....।
तुझसे "दूर" होकर भी
तेरे "करीब" होने का एहसास कराता है....।।
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सुकून-ए-बेखयाली भी अच्छी होती है
जनाब......
युं खुद्द से रुबरु होने के मौके
बार बार नहीं आते.....-