QUOTES ON #बुआ

#बुआ quotes

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7 AUG 2017 AT 23:36

कलाई पर बंधी राखी से मन होता ऐसा आनंदित,
असंभव है करना वो सुख शब्दों में वर्णित।
बहन- बुआ के प्रेम में लिपटा राखी का हर धागा,
के सौभग्यशाली बन जाता हर अभागा।।

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बुआ
में से अब
"बू" "आ"
रही है.....?
काहे बबुआ!!!!

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29 MAY 2021 AT 17:21

बातें करती है जो फनी
उसका नाम है अनी...
मुस्कुराने को करती है जो विवश
उसका है आज जन्म-दिवस...
Happy bday aaniiiiiii😘

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20 NOV 2019 AT 11:18

क्या दूँ जन्मदिन पे तुझे मैं नन्हीं सी गुड़िया
कोई नया खिलौना या कोई जादू की पुड़िया
कोई अपना....जो दूर से देता है सदाएं
या नाना और नानी जो देतें हैं दुआएं...

तू अरमान है सबका....तू मेरी आँखों का है तारा
हर शक्स घर में कहे तुझसे कौन है प्यारा ?
तेरे दम से हैं खुशियाँ...तू है तो हमकॊ क्या ग़म है?
नन्हीं सी गुड़िया तू किस जादूगर से कम है❤❤

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13 MAY 2020 AT 6:09

बुआ कि इनायत तो, मुझ पर एक कर्ज़ है ...
शुक्रिया अदा करना तो भतीजे का फ़र्ज़ है...

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11 JAN 2019 AT 23:44

इससे हसीन तोहफा
और होगा क्या मेरा
मासूमियत से भी
मासूम बचपना तेरा..😘

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11 JUL 2020 AT 16:01

कहने को तो पापा की बहन होती है
लेकिन प्यार मां जैसा करती है बुआ
वैसे तो सबको अच्छे से रखती है
लेकिन भतीजे - भतीजी को अपनी जान से ज्यादा चाहती है बुआ
अपने खिलाफ सब सुन लेंगी
लेकिन उनके भतीजे - भतीजी के लिए तो घरवालों से भी लड़ लेती है बुआ
चाहें ज़िन्दगी के सारे पल उनके साथ जीने को ना मिले
लेकिन हमारे प्यार भरे बचपन की तो पहचान होती है बुआ।
सारी बुआओ को समर्पित❣️

#1_कोशिश

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3 MAY 2020 AT 13:33

चल रहे है कदम बस कदम
दो दिल एक धड़कन है ।
प्रेम के डोर पर टिका
यही तो अटूट बंधन है
सुख ,दर्द,संघर्ष,संयम से भरा
आपका जीवन है
सलामत सदा आपकी ये सल्तनत रहे
यही हर किसी की मन्नत है



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15 NOV 2019 AT 6:14

ज़िन्दगी की इस भीड़ में ख्वाईशें अक्सर दम घोंट देती है, और जिम्मेदारिया बुआ बन बैठती है।

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27 JAN 2018 AT 18:25

बाबा अक्सर बुलाते हैं,
बुलाने पर नहीं आती,
बेमतलब के काम गिना कर,
अपनी व्यस्तता बताती है।
एक दिन,सबकी व्यस्त दिनचर्या में,
बिना बताये ही घर आ जाती है,
सुख में सुखाये,नये संबंधों पर,
अनचाही बदरी जैसी छा जाती है।
पापा को अपना भाई,दादा-दादी को
माँ-पापा कह कर अपना हक जताती है,
हमारी माँ को परायी और हमारे घर को
अपना बता कर हमें चिढ़ाती है।
स्नेह-शिकायत की कुछ बूंदें,
बुआ बेमौसम बरसा जाती हैं,
आंगन की गीली मिट्टी में,चुपके-से
अपना बचपन सहेज जाती है।

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