भाग जाते हो खटखटा कर
दरवाज़ा दिल का
ये बचपना तुम्हारा
गया नहीं-
Decluttering.
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"लम्हों से लफ्जों तक"
And
"Carnations"
क्या सच्चा क्या झूठा
क्या छाँव क्या ताप
सोते ही जग भूलूँ
उठूं तो भूलूँ ख्वाब-
अंदर ही अंदर
ना जाने तुझसे
कितना लड़ा हूँ
गलतियाँ गिनाने को तेरी
कई बार अड़ा हूँ
पर आया जो सामने तू मेरे
मुस्कुरा कर मैं
बस चुप खड़ा हूँ
-
क्या खूब तोड़ा है
माशूक ने मेरे
के पहले सिर्फ दिल उसका था
अब ज़र्रा ज़र्रा उसका है-
गुफ़्तगू उससे करता रहा
बात चलती रही
वक्त निकलता रहा
सुबह हुई तो होश आया
खुद से ही रात भर बोलता रहा-