Madhur Garg   (~Madhur)
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Decluttering.

Published writer in:
"लम्हों से लफ्जों तक"
And
"Carnations"
Joined 16 February 2017


Decluttering.

Published writer in:
"लम्हों से लफ्जों तक"
And
"Carnations"
Joined 16 February 2017
15 JUN AT 0:36

भाग जाते हो खटखटा कर
दरवाज़ा दिल का
ये बचपना तुम्हारा
गया नहीं

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13 JUN AT 22:46

क्या सच्चा क्या झूठा
क्या छाँव क्या ताप
सोते ही जग भूलूँ
उठूं तो भूलूँ ख्वाब

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11 JUN AT 0:23

बिखरा है तू
बिखरा हूँ मैं
आ समेटे एक दूसरे को
थोड़ा तू
थोड़ा मैं

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5 JUN AT 22:33

हर सफ़र
सफ़र नहीं होता
किसी की मंज़िल नहीं होती
किसी का हमसफ़र नही होता

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26 MAY AT 22:34

किसी ऐब से लगाव नहीं
लगाव मेरा ऐब ही

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21 MAY AT 0:13

अंदर ही अंदर
ना जाने तुझसे
कितना लड़ा हूँ
गलतियाँ गिनाने को तेरी
कई बार अड़ा हूँ
पर आया जो सामने तू मेरे
मुस्कुरा कर मैं
बस चुप खड़ा हूँ

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20 MAY AT 22:52

नज़रें भी अब मिलाते नहीं क्यों
नाराज़गी तो मगर बातों की थी

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18 MAY AT 0:33

क्या खूब तोड़ा है
माशूक ने मेरे
के पहले सिर्फ दिल उसका था
अब ज़र्रा ज़र्रा उसका है

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16 MAY AT 4:29

सबकी कहानी से मैं
रहा छूटा हर बार
अपनी कहानी का भी मैं
ना लेखक
ना किरदार

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1 MAY AT 1:25

गुफ़्तगू उससे करता रहा
बात चलती रही
वक्त निकलता रहा
सुबह हुई तो होश आया
खुद से ही रात भर बोलता रहा

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