Savita Thukral   (Savita Thukral)
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मिल रहा है रोज़ नया फ़लसफ़ा...
ऐ ज़िन्दगी तू न होना बेवफ़ा...
Joined 26 January 2019


मिल रहा है रोज़ नया फ़लसफ़ा...
ऐ ज़िन्दगी तू न होना बेवफ़ा...
Joined 26 January 2019
YESTERDAY AT 17:30

रात, मिलने की हसरत लिए जागती रही....
ज़िंदगी रुकी नहीं, सरपट भागती रही...

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YESTERDAY AT 17:24

दूसरे का काम सबको आसान लगता है....
किसी और का गम दो पल का मेहमान लगता है
अपनी तकदीर से शिकायत है बहुत...
क्यों हर इन्सान आज कल परेशान लगता है !


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1 MAY AT 0:13

जीवन की दौड़ में कोई आगे तो कोई पीछे...
आगे बढ़ने की होड़ में एक दूजे की टांग है खींचे😅

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30 APR AT 20:18

चल.........
बनाएं जीवन की राहें सरल
जो भी आए गले लगाएं
क्यों चलें संभल-संभल

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30 APR AT 9:48

कुछ ख्वाब बुने
कुछ रिश्ते चुने
काफ़ी जुड़े.....
कुछ तो थे टूटने
मुस्कुरा के चले....
ले के अनुभव गुनगुने
कुछ किस्से हवा हुए
कुछ गए चाव से सुने!

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25 APR AT 10:41

घर में धूप और छाया है
अनगिनत यादों की माया है
घर वह तिलिस्म है, जहां छिपे अनगिनत राज़
घर सिसकता रह गया...
देखो, आज घर अकेला रह गया।

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25 APR AT 8:38

कितने आंसू और गम चुपचाप सह गया
आज सब दूर हैं और घर अकेला रह गया

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23 APR AT 21:57

आज कल घर पुराने नहीं होते
उनमें रहते हुए ज़माने नहीं होते
रिश्तों की महक फ़िर भी है ताज़ा
परिवार हैं भले ही घराने नहीं होते
गोद में आज भी मां की ही सुकून है
कुछ सुख कभी बचकाने नहीं होते

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23 APR AT 14:06

लंबा सफ़र लगता है...
जब सांझ का पहर लगता है...
जाने कौन मुखौटा पहन आ जाए
अब नए रिश्तों से डर लगता है
हम साथ हैं तो हवा भी गुनगुनाती लगे
सन्नाटा अब शोर-सा, हर पहर लगता है
परिवार है, तो दिन उत्सव बन जाता
वरना 'घर' किसे 'घर' लगता है..!

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22 APR AT 13:14

भेजना था नींद को, आने का पैगाम....
रात के पते पे भेजा, लिख खुदा का नाम...

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