कौन इतना सोचता है
मोहब्बत हो जाएँगा और बिखर जायेंगे हम
इश्क़ में तो हर कोई सोचता है
कि इश्क़ के रंगों से निखर जायेंगे हम
प्रेम में पड़ा कौन इतना मंजिल की सोचता हैं
कि जिन्दगी संवार जायेंगे हम
मोहब्बत में अपने दिल से हारे लोग कहाँ इतना सोचता है
कि अस्को की बूंदे गिरेगी शाख से बिछड़ जायेंगे हम
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जब जब मैं पूर्णता अपूर्णता
के हिसाब किताब में उलझी रही
तब तब आधे अधूरे चांद ने कई
रूप दिखा दिया...
जब जब मैं खुद को खाली खाली
रिक्त शून्य सी समझने लगी
तब तब हरसिंगार बिखर के
आंचल सजा दिया।।-
बिखर रही है तबस्सुम की शोखियाँ उनके चेहरे पर,
आज कत्ल करने फैसला करके वो घर से निकले हैं !-
गर, बिखर जाए हम तो, तुम संभाल लेना,
कोई साथ दे या न दे हमारा, तुम हाथ थाम लेना, हमारा।।-
जब पड़ते हैं तेरी यादों के पाँव
मेरे मन के आँगन में
बिखर जाते हैं सारे शब्द
चावल के दानों से-
एक जीती जागती,
ममता की मूरत,
माँ जैसी वो एक सूरत,
झाड़ू लगाती वो,
इक औरत....
झाड़ू में बदल जाती हैं,
हमेंशा जीती हैं औरों के लिए,
जब कोई नहीं समझता उसे,
तो एक समूची औरत,
तिनका तिनका बिखर जाती हैं।-
तुम कहो तो, चुपचाप मर जाएंगे ।
टूटकर मोतियों सा, बिखर जाएंगे ।
इस मोहब्बत पे तुमको, हो जाए यकीं ।
तेरे खातिर, हर हद से गुज़र जाएंगे ।-
इस मतलब की दुनिया में मेरे ही दोस्त खास हैं !!
मुसीबत जितनी भी हो सब दोस्त हमारे साथ है!!
टूट कर अगर कोई दोस्त बिखरे करोना के डर से!!
तो बता देना दोस्त हम जिदंगी भर तुम्हारे साथ है !!
संतोष अनुरागी-