मैं
बिकाऊ हूँ..
जी हाँ,
ठीक सुना आप ने
मैं बिकाऊ हूँ..
और मैं सिर्फ दो रुपए में
बिकने को तैयार हूँ...
आप हँस रहे हो?
पर यह सच है..
कभी सौ रुपये की चीज
मुझे अंठयानवे में बेच कर देखो..
बस इतना कहो
के बिल नहीं दूँगा
और मैं दो रुपये में अपना
ईमान
अहँकार
मॉरल वैल्यूज़,
और तो और
देशभक्ति बेच कर
हाथ झाड़ता निकल लूँगा...-
ठहर गया बस कुछ दिन ये दर्द, मगर टिकाऊ थोड़ी है।
तन्हाई लाज़िम है मुझे मगर, मेरा दिल बिकाऊ थोड़ी हैं।।-
एक शख़्श की नीलामी पर
इतना हंगामा क्यूँ बरपा है।
बिकाऊ कहानी का जब
हर किरदार ही बिकाऊ है।-
ऐ आईना,
एक तू ही है जो हमेशा सच पर टिका है,
तुम्हारे बाद तो यहाँ का पत्ता-पत्ता बिका है।-
मैं...
कलम हूँ,
सुना है...
मैं ही हूँ वो,
जो... परिवर्तन
लाया करती थी,
और... मैं परिवर्तन
लेने गयी थी,
पर... मिली नहीं
वो नस्ल मुझे ,
जो चाहिए थी
परिवर्तन की
इसलिए...
फिलहाल...
परावर्तित होकर
मैं... लौट आयी हूँ ,
मैं... फिर जाऊँगी ,
मैं... फिर आऊँगी ,
और... मैं लाऊँगी
परिवर्तन मेरे...
मनचाहे नस्ल की ।
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सब कुछ बिकता है दोस्तो,
रहना जरा संभल कर...
बेचने वाला हवा भी बेचता है,
गुब्बारे में डालकर...
सच बिकता है, झूठ बिकता है,
बिकती है हर कहानी...
तीनों लोकों में फैला है,
फिर भी बिकता है बोतल में पानी...-
ये किस इंसानीयत की बात कर रहे हो जनाब आप!
वो जो आज यहाँ हर नुक्कड़ पे कौड़ियों में बिकती हैं!-
पानी भी आजकल बाज़ारो में बिकने लगी है,
शायद इसीलिए उसने मेरी आँसुओ की भी क़ीमत लगाया।।
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आपके सपनो का महल बिकाऊ नहीं हैं जनाब ए सिर्फ आपके मेहनत से ही बनेंगे ...
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