ललित रूप मुख पुहुप समाना
रजनीपति आभा सम कान्हा,
मोर मुकुट श्रृंगार लुभाऊ
चंचल चाल चलत जब कान्हा...!
किलकत चहकत कान्हा आवत
नाद करत सारंग समाना,
करिहाॅंव में बांधे हौ जो वेणु
वाकी धुन लागत वनप्रिया समाना...!-
मैया माखन दूर है हाथ मोरा ना जाए
नन्हा सा कान्हा तेरा माखन कैसे चुराए
बाल-ग्वाल सब बैरी हैं नाम मेरा बताएँ
मुझको भोला जान के बरबस मुख लिपटाएँ-
कवि कुछ ऐसी तान सुनाओ जिससे
उथल पुथल मच जाए
एक हिलोर इधर से आए
एक हिलोर उधर से आए
(बालकृष्ण शर्मा 'नवीन')-
Wishing you a happy and blessed janmaasthmi.. all yq family....🙏🌹💖🍫
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कमलनयन तोहे अति मन भावे
छुमक छुमक काहे दौड लगावे
सावली तनु तोहे बाल घुंगराला
लीला करत देखो नंद के लाला
सुकुमार मुख पर तेज छलकावे
मयुर पंख तोहे शीश चमकावे
लीला से तेरी मोरा मन भर जावे
देखन कान्हा सारी नगरी आवे
यशोमती के सोहे आँख का तारा
दही माखन तोहे लागे बहू प्यारा
ग्वालन घर छुपकेसे माखन खावे
चितचोर कैसो मनमन मुसकावे
मनभावन तोही छवी देखु भोली
भर जावे मोरी ममता की झोली
सौ. सुप्रिया
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बालकृष्ण की छवि मोहिनी
बोलत है मीठी बोली
संग गोपी करत ठिठोली
हिय को हर ले हसि अति भोली
राधा संग खेलत है होली
माथे राजत अक्षत अरु रोली
मोहत मेरे मन को छवि वोही
ढूंढत - फिरत में डोली- डोली-
काले बादल रात का अंधेरा
एक उजाला आने वाला था,
कंश का डर सैनिकों का पहरा
देवकी को चिंता ने सताया था,
झूम रहा था पवन गरज रहे थे बादल
आठवा पुत्र जब धरती पे आने वाला था,
मईया को दर्द उठा लल्ला रोने वाला था
रोहणी नक्षत्र में पालनहार आ गया था,
सारे बेहोश हो गए सारे पट खुद खुल गए
क्युकी कृष्ण को यशोदा के पास जो जाना था,
वासुदेव ने जब यमुना नदी को पार किया
यमुना मईया तृप्त हुई शेषनाग ने दर्शन पाया था,
नंदघर में जाके पुत्र दे आए पुत्री को ले आए
मन कठोर करके वासुदेव ने अपने प्राणों को सौंपा था,
इतने वर्षो बाद पुत्ररत्न जो प्राप्त हुआ था
लाल को देखकर मईया का चेहरा जगमगाया था,
हर तरफ खुशी हर तरफ एक हलचल थी
आखिर सबका प्यारा नंदगोपाल जो आया था,
HAPPY JANMASHTAMI ☺️
–kalash❤️
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