बशीर बद्र: तुम्हारे जन्मदिवस पर— % &
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मुझसे बिछड़ के ख़ुश रहते हो
मेरी तरह तुम भी झूठे हो
इक टहनी पर चाँद टिका था
मैं ये समझा तुम बैठे हो
उजले-उजले फूल खिले थे
बिल्कुल जैसे तुम हँसते हो
मुझ को शाम बता देती है
तुम कैसे कपड़े पहने हो
तुम तन्हा दुनिया से लड़ोगे
बच्चों सी बातें करते हो...!-
उड़ने दो परिंदों को अभी शोख़ हवा में
फ़िर लौट क़े बचपन के ज़माने नही आते...
~Bashir Badr
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पत्थर के जिगर वालो ग़म में वो रवानी है
ख़ुद राह बना लेगा बहता हुआ पानी है
बशीर बद्र-
अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जाएगा
मगर तुम्हारी तरह कौन मुझ को चाहेगा
बशीर बद्र-
यारों की मोहब्बत का यक़ीं कर लिया मैंने,
फूलों में छुपाया हुआ ख़ंजर नहीं देखा ..
पत्थर मुझे कहता है मिरा चाहने वाला,,
मैं मोम हूँ उस ने मुझे छू कर नहीं देखा..!!-
घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थे
बहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला
बशीर बद्र-
अजीब रात थी कल तुम भी आ के लौट गए
जब आ गए थे तो पल भर ठहर गए होते
बशीर बद्र-