सभी के फोन में एक नंबर तो ऐसा होता ही है, जिस पर दृष्टि पड़ते ही रूह तड़प उठती है। मस्तिष्क जानता है कि अब उस नंबर के दूसरी तरफ़ कोई नहीं।
नहीं सुनाई देगी वह आवाज़। वह लगाव अब उस नंबर से प्राप्त नहीं होगा। न ही कोई प्रतीक्षा आपकी आवाज़ की राह देख रही। एक चुप, जो चुप रहेगा।
किंतु, फिर भी हम हर बार कांटैक्ट लिस्ट में उस नम्बर पर ठहर जाते हैं। यूँ लगता, जैसे मन की चादर से अनेक धागे निकलकर उन अंकों से उलझ गए हों। अत्यधिक प्रेम बरसता और, कभी तर्जनी, कभी मध्यमा, कभी अनामिका से उन अंकों को स्पर्श कर लेते हैं।
जब कभी भावनाओं का वेग बढ़ता और मानस विरह को गले लगा लेने को व्यग्र हो जाता, तब हमारे अधर उन सभी अंकों को एक-एक करके चूम लेते हैं। हम सब कह लेते हैं, बस अलविदा नहीं कह पाते।
अंकों को अंक में भर लेने की ये तड़प, अंकों के अंक में समा जाने की तड़प से कम होती है या अधिक, यह कोई नहीं कह सकता किंतु, अंकों से बन रहा चेहरा, स्पष्ट दिखाई पड़ता है-
Rajeev Vaidya
(Rajeev Vaidya.....✍✍)
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केवल वो लोग जो कुछ भी नहीं बनने के लिए तैयार हैं, प्रेम कर सकते हैं..
Study in Bundelkhand ... read more
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Joined 21 January 2019
24 JUL 2023 AT 20:51
3 MAY 2022 AT 0:47
तुम मुझसे जुदा तो हो रही हो बेशक
खुदा किसी को किसी से मगर जुदा न करें
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23 APR 2022 AT 15:11
अब उस लड़की से बस इतना सा रिश्ता है,
दिख जाए अगर कहीं तो रस्ता बदल लेता हूँ.
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