तेज़ हो तलवार सी म्यान रखा करो,
ज़रा सम्भालो खुद को ध्यान रखा करो-
जीवन मृत्यु के खेल में
हमनें जीवन को साधा है,
कृष्ण का प्रेम पूर्ण है
जब संग उनके राधा है,
ये मेरी बातों में
झलकता है फ़रेब हर दम
तू ज़रा इत्मीनान से देख
तेरे बिन
सब आधा-आधा है।-
लेखन हर वक्त झकड़े रखता है मुझें
जैसे ये शब्द नही
जंजीर हो किसी तहख़ाने की,
हर एक अक्षर से बने शब्द
तहख़ानों की उन दीवारों से है
जिसमें कैद व्यक्ति के लिए
सारी दुनिया बस वही तहखाना हो जाता है,
मेरी उड़ान से लेकर
मेरे सपनों और अपनों का संसार
सब कुछ बस इन शब्दों के तहखाने में कैद है,
दुनिया की आज़ादी
मुझे दूर कर देती है तुमसे
मैं बस कैद रहकर इनमें
उम्र गुजारना चाहता हूँ।-
ये जरूर है कि हर वक्त,
हर जगह तेरी कमी हमें खलती है,
पर सुकून है इस बात का
तेरी पहचान हमसे पहले चलती है।
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'याद कर तुम्हें मैं रोता नही हूँ'
कभी तुमसे पलभर की दूरी भी ऐसी लगती मानों
उस पल को निकालने में घण्टो लगे हो,
कभी तुम्हारी नाराज़गी यू लगती की
सारी दुनिया मुझसे रूठ गई हो,
तुम्हारा काम के चक्कर मे व्यस्त रहना
मुझे अस्त-व्यस्त कर जाता है,
तुम कहा करती
ये शब्दों का मायाजाल कहा से बुन लेते हो
मैं तुम्हें अक्सर कहना चाहता कि
जहाँ तुम रहते वहां शब्दों की कमी नही है,
कहानियाँ अधूरी पसंद की जाति है
चाहे हीर-रांझा हो या अमृता प्रीतम
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