तू कही रूठ न जाये हमसे
तुझ से सारे डर छुपाता हूँ
काश की तेरी माँग का सिंदूर बनू
हर पर यही ख्वाब सजाता हूँ
अभी गर्दिश में है सितारे कुछ हाथ नही
एक रोटी कमाने कहाँ कहाँ जाता हूँ
तू है तो कोई खौफ नही शुभेन्द्र को
बेख़ौफ़ गजलों में अपनी दास्तां सुनाता हूँ
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ख़ाक में जब मिल गए दोनों बराबर हो गए
पृथ्वी अवतरण दिवस... read more
तेरी देह बने पन्ना मेरी कलम हो जाये
लिखूँ प्रेम-ए-कुरान जिंदगी सफल हो जाये
यहाँ न नियम है न कानून है साहिब
बोलने से पहले सब अमल हो जाये
ए मेरे मालिक इश्क एक फुतुववत है
मुमकिन है अक्ल फुतुरे अक्ल हो जाये
लोग है लोगो का भरोसा क्या
क्या पता कब दल बदल हो जाये
भरोसे से खेलना बहुत आसान है शुभेन्द्र
भरोसा टूटा तो जिंदगी अजल हो जाये-
सारे जमाने को अपना दीवाना बना रखा है
मासूम लड़का है खुद को परवाना बना रखा है-
तुम्हारी दी हुई कलमकारी है
हम सदा तुम्हारे आभारी है
हम न खास थे न है न होंगे
मुझे तराशना तुम्हारी जिम्मेदारी है-
शुभेन्द्र बदलेगा बदलेगा दुनिया सारी
बतलायेगा जहां को इश्क है लाइलाज बीमारी
मत करियो कभी इश्क लूट जाओगे
फिर कहते रहना हाय बीमारी हाय बीमारी-
अपने ही बन जाते है बेगाने कैसे
यह राज आज तक समझ न पाया
कैसे कैसे खेल है खुदा के शुभेन्द्र
कही धूप की तपिस कही है छाया-
जिंदगी की जीत मौत को हार कब होगी
शुभेन्द्र यह जिंदगी तेरी बेज़ार कब होगी-
जला दूँगा तो बचेगा क्या
मैं जज्बातो का पुतला हूँ
यारो उसके बिन मेरा
बनेगा तो बनेगा भी क्या-