बनारस ये सिर्फ एक शहर नही हम सब की आस्था,प्यार,मोहब्बत, जिंदगी का प्रतीक है।
अब यहाँ के बारे में क्या लिखूं....घाट का सुकून,मंदिर की शांति,कचौड़ी-जलेबी का स्वाद,माँ गंगा की तरल तरंगे,
बनारसी पान की मिठास, बनारस की साड़ी,बनारस की गलियां,की चाय पर चर्चा,यह के गुरुओं, यहा की गाली, यहाँ का सुकून,पहलवान की लस्सी,गोदौलिया की मलाइयो,की घाट अस्सी,तुलसीदास के दोहे,पंडित छन्नूलाल जी की बांसुरी, या फिर बिस्मिल्लाह साहब की शहनाई, की यहाँ की खूबसूरती, यहाँ के सांसद की मन की बाते,सड़को की जाम, की बाबा का भाँग, मणिकर्णिका का मोक्ष, अन्नपूर्णा का भोग,रामनगर का किला, की काशी नरेश का पूरा जिला,काशी का चाट,संकटमोचन का पेड़ा, कालभैरव की हाज़री, ज्ञानवापी का मस्जिद, बाबा विश्वनाथ का धाम,या गंगा की आरती,पांच विश्वविद्यालयो का ज्ञान,मालवीय जी की बगिया,बाबतपुर का रिंग रोड,आई पी विजया का शो,नाटी इमली का भरत मिलाप,या फिर तुलसी घाट का नाग नथैया, या चेतगंज का नक कटैया,रामनगर की रामलीला, गोदौलिया का शापिंग,यहाँ का भौकाल।
क्या लिखूं किसपे लिखू समझ नही आता।
हर हर महादेव🙏🙏❤️❤️
Be बनारसी
Be बिन्दास
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वैसे तो अकेले चलने की आदत है मुझे पर
"बनारस" घूमने के लिए तुम्हारा साथ चाहिए-
थोड़ी सी समझदार हो गई हूं मैं
पहले एकदम नई कॉपी के पेज से नाव बनाकर
बारिश के पानी में छोड़ देती थी
अब पुराने अखबार से नाव बनाती हूं मैं ✨❤️😇
(अनुशीर्षक भी पढ़े 🙏)-
तुम्हारे हुस्न के मैदागिन में फंसकर इश्क़ के अस्सी घट में डूब सा अब यादों का लंका बना जाता हूं मैं
तुम लगती हो जैसे गिलोरी हथुआ मार्केट की पांडेयपुर का लोंगलता सा मुंह हुआ जाता है
तेरी सूरत के काशी विश्वनाथ मंदिर को देख कर मेरा मन भोजुबीर सा मचल जाता है
चहकती हो तुम दालमंडी की शाम सी मेरा प्यार यहां गुरुबाग मार्केट सा हुआ जाता है
तेरी पतली कमर है जैसे चौक की उस पर मेरा दिल गोदौलिया के जाम सा रुक जाता है
बदन है तुम्हारा बनारस की पान सा और ये आशिक़ रामनगर की लस्सी सा नहाए जाता है❣️-
मै तो यही हूँ
"बनारस"
तेरे आने का इंताजर कर रही हूँ।
"शाम-ए-बनारस"
की तेरे रंग मे ढल जाऊ।
"इश्क-ए-बनारस"
©अनकहीं रोशनी-
वो सुलगती सी चाय और तेरी नज़र की मिठास,
हमारे इश्क़ से महकते थे कभी बनारस के घाट,
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दुनिया में लोगो से मिलना हो तो बड़े शहर जाइये
अगर खुद से मिलना हो तो बनारस आइये
बनारस आपको पहले दिन अच्छा नही लगेगा
लेकिन जब अच्छा लगने लगेगा बनारस तब
शहर को छोड़ने से पहले ये आपको
एक बार सोचने पे मजबूर जरूर कर देगा-
सुप्रभात,
बनारस मेरा दिल
तुम मेरी दिल की धड़कन
मै तुम्हारी दिल की धड़कन की आवाज
तुम घाट के मनमोहक दृश्य
मै गंगा जी के लहरों की शीतलता।
©अनकहीं रोशनी
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मेरे घर से दूर एक और घर है, मेरे गाँव के करीब एक प्यारा सा शहर है। जिसके बिना मेरा कोई अस्तित्व नहीं, वो घण्टियों और अज़ानों का शहर है। जिसके घाटों पर गंगा मैया का आँचल है, जो मेरे सुख-दुख का साथी है, वो मेरा साथी बनारस है। जब तक गलियों में खोई नहीं, मंदिरों में रोई नहीं, तब तक मेरी जिंदगी रसहीन रही।
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#हर हर महादेव 🙏
#बनारसी हैं हम😏
वो गलियों के भुलक्कड़ रास्ते😉
हर नुक्कड़ पर चाय और नाश्ते,😋
चाचा के राजनीति कि बाते🤔
सड़कों से जाम के शोर है आते,🤪
शाम के महफ़िल की मैं दीवानी🥰
रोशन हैं सड़के,😘
गंगा आरती में वो भीड़ का आना❤️
बाबा के दरबार की भक्ति🙏
माँ अन्नपूर्णा की शक्ति,🙏
संकटमोचन का आशीर्वाद🙏
गंगा का पावन घाट🙏
घंटो की आवाज से यहां सवेरा है❣️
धाटों पर साधु संतों का बसेरा है।🧘
यहाँ के लोगों का अलग ही व्यवहार है💃
अनजानों से भी दोस्तों जैसा प्यार है।👩❤️👩
कितना कुछ लिख दू बनारस के प्यार में🌹
कम पड़ जाते है शब्द इसके बखान में।❣️❣️-