Shalini Kumari   (Nimishalini)
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Joined 21 December 2017


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Joined 21 December 2017
14 FEB 2022 AT 10:47

गर इश्क़ हो,
तो पहले ख़ुद से हो,
चाहे किसी से हो न हो।

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19 NOV 2021 AT 15:31

मम्मी मेरे लिए वर माँगती है,
और हम अपने लिये घर चाहते हैं।

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14 JUL 2021 AT 16:49

किस्मत के अजब रंग थे,
जो हमें विदाई देनी पड़ी।
पर हम भी विरले दोस्त हैं,
किस्सों, कहानी और कविताओं में
तुम्हें जिंदा रखेंगे।
तुम्हें नाज होगा, अपनी दोस्ती पर
ऐसा एक कारवां बनाएंगे।

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16 JUN 2021 AT 23:06

काश, ख़ामोशी की भी एक धुन होती।
तुम कुछ न कह पाते,
पर हम सुन रहे होते।

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4 JUN 2021 AT 22:39

हर कोई भूल जाता है,
और मुझे सब याद रहता है।
सब आगे बढ़ जाते हैं,
और मैं तन्हा खड़ी रह जाती हूँ।
सब दुनियादारी निभाने को कहते हैं,
और मैं बस इंसान बने रहना चाहती हूँ।
सब अपनी दुनिया में मगन है,
और मेरी दुनिया तो बस
एक छोटा सा आंगन है।

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22 MAY 2021 AT 22:40

समेट रहीं हूँ, इस घर की
अनगिनत बातों और यादों को।
तिनका-तिनका करके बनाये,
इस प्यारे घरौंदे से ,
जाने कब उड़ जाना है।
जो न था, मेरा कभी,
उससे कैसा मोह,
अपना तो जीवन ही बंजारों जैसा है।

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18 MAY 2021 AT 22:52

दोस्ती से बड़ी चाहत क्या होगी,
दोस्ती से बड़ी इबादत क्या होगी।
जब मिल बैठेंगे हम संगी-साथी,
तो जिंदगी से शिकायत क्या होगी।

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16 MAY 2021 AT 19:38

दर्द में रहूं,
फिर भी तुम्हारा ख़्याल न रहे,
ये कैसे मुमकिन है।
ये तो वही बात हुई,
रात है,
पर तारों की महफ़िल नदारद है।

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2 MAR 2021 AT 22:21

जो स्त्री-विरोधी होते हैं,
वो भी तो झुकते होंगे, अपनी माँ के सम्मुख।
जिन्हें स्त्री जाति ही सभी दुखों
का कारण लगती होगी,
क्या वो कभी अपनी बेटी के
आंखों में आंसू देख पाते होंगे?
जिन्हें नाज़ होगा अपने पिता के नाम पर,
चोट लगने पर शायद मां को ही याद करते होंगे।
विरोध हो,तो एक अकेले से हो,
न की पूरी जाति से।

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21 JAN 2021 AT 17:12

सब कहते हैं,
हम अच्छे दोस्त थे।
मैं और तुम अज्ञात हैं,
ये आजकल कहना पड़ता है।

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