कहानी जिंदगी की यूं तो दिलकश है मगर 'दहलवी'
सफ़ाँ ये खिदमत-ए-पिदर का फिर दोहराया न जाएगा,-
Working with Airindia Ltd, Delhi
दिल से ख़्याल लिखते है
हम दिल का ख़याल लिखते ह... read more
यूं भी न ठहर ऐ नादाँ दिल तू अभी परेशां न हो,
मुमकिन नहीं यहां किसी ग़म-ऐ-शाम की सुबह न हो,-
सो जाती है तू जब भी तुझे दास्तां सुनाता हूं,
बड़ी बे-रहम है जिंदगी पर रोज़ तुझे उठाता हूं,-
अब दूर से ही इस मय का सरूर होने लगा,
बड़ा पुराना हो गया दिल में रखा तेरा इश्क़-
छोड़ दी अब कश्ती इन तूफानों के सहारे,
या तो अब ख़ुदा मिले या सुपर्द -ए -ख़ाक़,-
कहीं इमां ख़राब न करदे विलायती हवा ये सरसरी,
बच कर ही रहना बड़ी बाशमाश होती है ये फ़रवरी,-
जिस घर माता पिता को, बेटों की झप्पियां।
और बेटियों की मीठी पप्पियाँ मिलती है।
उस घर हर दिन प्रभु प्रेम बरसता है।
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तेरे वादों पर जी रहे है तेरे वादे पर ही फ़न्हा होंगे,
यूं आसाँ न होती जिंदगी जो तेरा ऐतबार न होता,
हमारा तो हर दिन वादा दिवस है-
कभी तेरे इश्क़ पे फ़िदा कभी नक्श पे फ़िदा,
नादाँ दिल मेरा बेज़ार है किसको ख़ुदा कहें-
तेरे दीदार को क्या कहें तेरे तो नाम में ही शिफ़ा है,
मेरी तू ही रज़ा, तू ही क़ज़ा, तू ही बंदगी तू ही दुआ है,-