संभलने का समय नहीं..!!
कि' हम फिर फिसलते चले गये..!!-
सम्भल सम्भल कर चले हम फिर भी फिसलते गए......
एक तेरे इश्क़ के खातिर बस यूँ ही बिखरते गए......
अब आलम ये है कि जिंदा तो है,, पर यूँ ही मरते गए.....-
बेवजह नहीं टूटते
मजबूत जो होते ये रिश्ते,
एक से इश्क़ का दम हो भरते
तो दूजे की आशिकी में हो फिसलते-
रिश्ता भी हमारा फिसलता जा रहा है
खबर उसको भी थी और हमें भी थी
पर दोनों ने ही रिश्ते को पकड़ा नहीं ।।
®J
जैसे बंद मुठ्ठी में रेत फिसलती है चाहे हम मुठ्ठी केसे भी बन्द कर ले ठीक उसी तरह हमारा रिश्ता भी फिसलता चला गया....!!
®J-
अपने दिल में जिनको ठहरते देखा है
अक्सर उन्हीं को मुझे ठगते देखा है ।
जिन्हें संग मैंने, मेरे चढ़ते देखा है,
ढ़लने पर अक्सर उन्हें बदलते देखा है।।
जिन को शराब पीकर भी मस्त चलते देखा है,
अक्सर उन लोगों को भी इश्क में फिसलते देखा है।।-
फिसलते पलों को कोई रोक न सके
बिगड़ते किस्मत को कोई रोक न सके
उठते तूफानों को कोई रोक न सके
उठते सैलाबों को कोई रोक न सके
दिल की अतरंगी उड़ान कोई रोक न सके
मन के बच्चे की चाहत कोई रोक न सके
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