तारीफों की महफिलों से गर सांसें चले तो फ़िर जीने में मजा क्या है
लोहा सा तराशे कोई और कोहिनूर सी बनती जाऊं तो फिर इसमें कोई खता क्या है-
क़भी क़भी सच सुनके भी दिल टूट जाता है
कभी कभी अपना ही दिल अपनों से रूठ जाता है-
क़भी जो डगमगा जाऊँ तो संभाल लेना तुम
कभी जो भटक जाऊँ तो राह दिखा देना तुम-
ख़ुद से ज़्यादा तुझपे भरोसा है
ज़िन्दगी गुज़रे तेरी बाँहों में
बस यही इरादा है।-
तुम्हें मैं अपनी कमजोरी नहीं
हिम्मत बनाना चाहती हूँ
मेरे चेहरे कि उदासी को जो पल में मिटा दे
तुझे अपने लबों कि वो हँसी बनाना चाहती हूँ
जिसे देख कर जीने कि फ़िर से तम्मन्ना हो गई है
तुझे वो अपना जूनून बनाना चाहती हूँ
जिसके बाहों में सुकून मिल जाए मुझे
तुम्हें वो अपना सुकून बनाना चाहती हूँ-
किस से कहूँ टूटे हुए दिल कि सारी बातें
क़भी जो सोचूँ तो भर आती है मेरी आँखें-
जिन्हें आपसे सच्चा वाला प्यार होगा ना वो आपकी इक प्यारी सी हँसी से भी ख़ुश हो जाएगा।
औऱ जिन्हें आपसे प्यार ही नहीं होता उनके लिए कुछ भी कर लो
उन्हें सब कम ही लगता ।।-