मेरी नज़रों को तलाश उसकी हैं
जो कहा करते थे
ज़िंदगी के हर मोड़ पर तुम्हें नज़र आएंगे.....-
शायद इश्क़ तो नहीं किया मगर चाहतें तमाम हैं
इस कलम के फकीर का आप सभी को सलाम है-
फ़कीर ये दिल मेरा, और शेहज़ादे तुम!
कहां? इस दिल की धड़कन को, समझ पाओगे।
बस चाहत ही, कर सकते है हम तुम से,
वरना तुम कहां? हमें अपना, बना पाओगे।।-
मोहब्बत भी
कमाल की बला है फहीम,
अच्छे अच्छे को
फ़कीर बना देती है,
कभी रब से तो
कभी जग से मांगना पड़ता है.-
हाथों मे खींची लकीर को देख इंसान
खुद को कभी अमीर,तो कभी फकीर,
समझने की भूल कर बैठता है
या यूँ कहूँ तो खुदा की बनाई
तकदीर समझ बैठता है ।-
ये लकीरो का खेल तब तक है जनाब ,,,,,
जब तक शरीर मे जान है,,,,,
मरने के बाद तो जाना सबको शमशान है,,,,,,
वहाँ जल जाती है सब नसीबो की लकीर,,,,,
वहाँ क्या अमीर क्या फकीर।-
लाख उँगलियाँ उठा लो, मैं तो फ़ितरत की फ़क़ीर ही सही,
गिरेबाँ ज़रा अपना भी झाँक लो, कि तुम शरीफ़ ही सही-
फकीर ए इश्क हूं एक दर से लगा बैठा हुं।
चाहत ए जिस्म होती दो दर दर पे पड़ा मिलता।-
हूँ मैं गर खतावार ताे बेशक मुझे सजा दीजिए
हाे बादशाह या फिर फकीर उसे ये चेता दिजिए
गर हक गाेई बगावत है ताे
आप बगाबत ही समझिये
जालिमाें काे गर जुल्म पर न टाेका जाये
ताे मेरी ये कलम से अदावत ही समझिये-