------ व्यंग-----
आज कल के लोगों ने, साधू-धंधा लियो अपनाये,
ज्ञान की जरुरत नाही , बस कमर में पिस्टल लियो फसाय !
कोई 8 पढ़ा है,कोई 10 पढ़ा है , किसी ने नन्द लियो लगाय ,
खूब मुनाफा इस धंधे में , है 100% की आय !
भर्ती का कोई टेस्ट नाही, बस भगवा दियो पहराय,
काम-चोर,नशेडी,बलात्कारी भर्ती कर, संगठन लियो बनाय !
मीठी बाते ,रास कथा, सुना चुटकुले, लोगा'न दियो भरमाय ,
भगवे की अवेह्ल्ना नाही, कह लोंगा'न दियो डराया !
कोई भक्त है आसाराम का, किसी ने राम रहीम को गुरु लियो बनाय ,
भगवे के भेष में गुंडे छिपे है , लेइयो इज्ज़त बचाय !
कोई पैर धूलावे, कोई तस्वीर लगावे , उच्हों आसन लियो लगया,
गुरु जी की अवेह्ल्ना कर , खुद न जम्भ दियो बताय !
जागो रे भाइयो वक्त है अब , डंडो लइयो उठाय ,
भगवे को टंगवाओ खूंटी , धोती कुर्ता दियो पहराय |-
गंगा किनारे बैठकर, एक लंबी चुनाई रखकर, फर्जी पोथी-पत्रा रखकर आप सिर्फ लोगों को मूर्ख बना सकते हैं.
घाट बनारस !!
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भगवान का नाम रख,घिन्न बेच रहे है,
अब राम रहीम जैसे हवसी पैदा ले रहे है,
पैदाईस हो रही आतंकों की,
सहारा ले रहे है मनकों की,
Modern चाल दिखा-दिखाकर खरीद ली भक्ति सबकी,
घिन्न है एेसी अंधी भक्ति पर,
घिन्न है हरियाणा की शक्ति पर,
शक्ति जो पंचकुला को बचा ना सकी,
हवसी के आगे शीश उठा ना सकी,
चाँट रहे है तलवे अभी भी,
मंत्री जी बड़े शौक से,
घिन्न है उनकी नजरों पे,जो लोगों से मिली न सकी,
जो पद की गरिमा को समझ न सके,
घिन्न है एेसे स्वभिमान पे,जो खुद को गिरने से बचा न सकी,
औरतों को नजरें-नीची और कमीज फिकी,
ये राझस लोक मे होता था,
बहुत घिन्न है,ऐसे भक्तों पर,
अपनी नजरें-नीची तो की,लेकिन शालिनता ला न सकी,
देख लो-जल रहा है,पंचकुला अभी भी,
तुम्हारी अंधी भक्ति से,
दिख रहा है,ज्ञान सबोका,मिल रहा जो राम -रहीम जैसे पाखंडी से,
"""आशाराम हो,राधा माँ हो,या राम-रहीम"""
घिन्न है ,तेरे जन्म पें,...थू है तेरे कर्म पे,
साथ-ही-साथ हरियाणा की नेता और पुलिस पे,
और सबसे बड़ा थू, दानवों की भक्ति पे,
विनती है,हर राज्य की जनता से,
बचा लो खुद को,अंधी भक्ति के ताने-बाने से,
क्योंकि जब एक राम-रहीम मरता है,तो
कई राम-रहीम पैदा लेता है,
जिनमें से एक आप भी हो सकते हो।
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पाखंडी दौड़ पड़े..
लाशों पर राजनीति चमकाने को
माँओं की उजड़ी गोदों से उन्हें
कोई सरोकार नहीं
😔😖
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पापी जीव हरण करें,
पत्थर पूजत भगवान!
आसा कर्म भजो रे भाई,
घर चौरासी धाम!!-
मेरे देश को आतंकीयो से उतनी खतरा नहीं
जितना उन पाखंडी बाबाओं से है |-
इस पाखंडी दुनियां में
तुम भी बदल जाओगे
कहीं तुम ना बदले तो
शिवाजी महाराज कहलाओगे
जय भवानी⚔️
:- Dheeraj barnwal-
पाखंडी जब
प्रसाद बांटते हैं तो
उसमें से भी
वासना की
दुर्गंध आती है।-
पाखंडी लोग प्राय: दूसरों की आलोचना कर ही सीढ़ियां चढ़ना चाहते है !
क्योंकि वे अनभिज्ञ हैं !!-