Sandeep Bishnoi   (Sandeep Bishnoi)
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Joined 21 May 2018


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19 SEP 2023 AT 15:30

थोड़ा सोचना ऐ दुनियां वालो,
जब हो हसीनों से दिल लगाना !
तुम अपनी ज़िंदगी तबाह कर लोगे,
इनका क्या पता, कब बदल जाना !!

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8 SEP 2023 AT 21:28

हम से नफरत करके यार ,
 देखते है, कहाँ तलक़, तुम जाओगे !
दुनियाँ यार ज़ालिम बड़ी है,
किस किस को तुम, यूं समझाओगें !

नये का तुमको शौंक बहुत है,
किस किस पर तुम, हक जताओगे !
हर शख्स की है नियत अपनी,
 किस किस को तुम, अब मनाओगे ! 

जो अपना है उसे भूले हो तुम,
किस किस को तुम, अपना बनाओगे !
दिल तो तुम्हारा भर गया था,
 किस किस को तुम, मन में बसाओगे !

हालत तेरे से वाकिफ थे,यारा,
किस किस को तुम, हालात बताओगे !
माना की खरीद सकते हो सब कुछ,
पर,अपने लिए वफ़ा कहाँ से लाओगे !

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7 SEP 2023 AT 18:44

मर्ज मिले तो दवा भी ढूंढू,
दिल का मैं अब करू भी क्या ,
साकी मिले तो वफा भी ढूंढू
दर्द-ए-'इश्क़ को जरू भी क्या ,

ख़ता मिले तो सजा भी ढूंढू,
जमाने से अब डरूं भी क्या ,
वजह मिले तो रज़ा भी ढूंढू,
बेवजह तो मैं अब करू भी क्या,

कफन मिले तो आराम भी ढूंढू,
जाम वफा का भरू भी क्या ,
हक मिले तो नियत भी ढूंढू,
बेवफा के लिऐ अब मरू भी क्या !

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5 SEP 2023 AT 10:15

ख़ामोश रहना और कुछ न कहना,
दिल मे हजारों ख़्वाब समेटे हो,
कभी वक्त मिले तो बयां भी करना,
दिल कौन सा रंज लिए बैठे हो ?

थोड़ा गहरा भी तो सोच कभी,
रही कौनसी मंशा अधूरी है,
माना की मजबूरी है,
दिल तोड़ना भी क्या जरूरी है ?

दिल के दर्द से तुम भी वाकिफ,
आसान नहीं है इसको सहना ,
क्यों इतने करीब से बदल गए हो,
मुश्किल बड़ा अल्फाज़ में कहना,

रफ़्ता रफ़्ता तू बदल गई,
मुझे इल्म था, तुझे आखिर जाना है,
तेरी हसरत, तू जो मर्जी कर,
हमनें अधूरा इश्क़ भी तो निभाना है !

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6 JUL 2023 AT 14:55

हाथ भी जोड़े, ना माना तू,
मिन्नतें भी की, ना माना तू,
इश्क़ होता, तो थोड़ी तड़फ भी होती,
वफ़ा को क्यों ना पहचाना तू ?

अपनों की बातें करते हो
कभी आपने को अपना माना है ,
उसकी इंतजा भी क्या होगी,
कभी अपने का दर्द भी जाना है ?

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4 JUL 2023 AT 15:39

कुछ खता तो मेरी भी होगी,
तभी तो दिल का बंधन टूटा है,
कुछ इश्क़ वफ़ा की समझ ना थी,
तभी तो हाथ यूं छूटा है ,
बैचेन दिल की अब हालत ऐसी,
हजारों मन की बातें करनी थी,
क्या करे अब , खफ़ा है खुद से,
अब क़िस्त रुसवाई की भरनी थी ,
बेख़बर है वो क्या जाने,
हाल मेरा अब क्या होगा ,
जो खुली आंखों से देखे थे,
हर वो ख़्वाब तबाह होगा !

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4 JUL 2023 AT 11:27

परत दर परत मैनें,
उलझें ख्वाबों को जोड़े है,
आखिर अधूरी बातों ने,
कई अहम रिश्ते भी तो तोड़े है,

ऐसा भी का अहम हुआ,
जो दिल तोड़ के पाना है ?
कहां रुकते है वो भी यार,
जिनको छोड़ के जाना है,

तिनका तिनका जोड़ के मैने ,
ऐक घास का महल बनाया था,
लगी आग तो कुछ न बचा,
बस राख़ को सामने पाया था,

हमने पूछा हाल भी उनका,
कुछ और ही हमे बताया था ,
भर कर नफ़रत दिल में अपने,
हमसे अक्सर छुपाया था ,

लूटा के सब कुछ हमने भी,
जा फकीरी के हम दर बैठें,
जिनसे चाहत की बाज़ी करनी थी,
वो रंजिश ही हमसे कर बैठे !

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24 JUN 2023 AT 13:00

अगर आसानी से मिल जाए मुकाम अपना ,
तो फिर मजा ही क्या !
जब तलक राहों में रातें न गुजारी हो ! !

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23 JUN 2023 AT 17:42

वो हमसे पूछें तो सही, सवाल क्या है,
वो हमसे पूछें तो सही, मलाल क्या है,
हम तो वैसे भी मुस्कुरा ही देते, बेखबर !
वो हमसे पूछे तो सही, हाल क्या है !!

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22 JUN 2023 AT 9:29

तोड़ के मैंने, दिल को अपने,
दर्द में रहना सीख लिया,
छोड़ के मैंने,अपने सुकूं को,
दर्द में बहना सीख लिया ,
खुशियों का अब आलम कैसा,
जब तन्हाई में रहना है,
मोड़ के मैंने, राहों को अपने ,
दर्द को सहना सीख लिया !
दर्द ही अब दर्द का मरहम,
रुसवा अब क्या तुझसे रहना,
जोड़ के बिखरे मैंने, ख्वाब को अपने,
दर्द में कहना सीख लिया !

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