कुछ आर गए, कुछ पार गए
कुछ नदिया की धार गए
जाना था जिसको जहाँ कहीं
क्या कड़ी धूप या रात घनीं !
सरकंडों सी राहों पर
जीवन का पूरा भार लिए
सबकुछ अपना वार गए-
भांडणं घरातली असो वा समाजातली
त्याचा परिणाम इतर लोकांवर सुद्धा होतो, त्यामुळे
दोन जणांची आपापसातील भांडण थांबवायची असेल तर
दोघातून एकाला तरी शांत व्हायला पाहिजे तर भांडण आपोआप कमी होईल
आणि समोरचा शांत होईल याची वाट बघू नका, स्वतः माघार घ्या.....-
एग्जिट पोल 2019
होली है भाई होली है
ये मोदी वाली होली है
राहुल ने जतन किया
प्रियंका ने नमन किया
सोनिया तुम से पूछ रही
क्यों खाली फिर से झोली है
होली है भाई होली है
ये मोदी वाली होली है
एक शाह ने पूरा थाल सजाया
एक सिंह में नवजोत की बोली है
न यू. पी आई न ममता बाई
बस केरल में तूती बोली है
होली है भाई होली है
ये मोदी वाली होली है
था सब का मंत्र या सडयंत्र
माँ मै पोजीशन लाया है
चाहे मोदी बने पी.म. लेकिन
विपक्ष में काँग्रेसी टोली है।
होली है भाई होली है
ये मोदी वाली होली है-
मौन का परिणाम
भयंकर होता है।
जो रख ले विष कंठ में
वही तो शंकर होता है।-
सफलता के रूप में संघर्षों का परिणाम हो
झूठ का कर्मफल सिकुड़ता हुआ सम्मान हो
विश्वास के रूप में एक मिटती हुई पहचान हो
प्रतिकूल परिस्थितियों की कड़वी सच्चाई हो
मैं तो सिर्फ इंसान हूं पर तुम तो एक परिणाम हो-
चुनाव है.....तनाव?
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कुछ भूखे...कुछ के दिन हैं चाव
(अनुशीर्षक में पढ़ें)-
कोई भी काम करने का एक तरीका होता है।
उस तरीके से काम करने से काम आसान हो जाता है।
इसीलिए कोई भी काम करने से पहले उस काम को करने का तरीका समझ लेना चाहिए।
मतलब System को सिर्फ Follow करो।
समय और शक्ति बचेंगे।
परिणाम भी अच्छा मिलेगा।-
अपने भविष्य के लिए जब आप अपनी,
जरूरत को छोड़ अपने जुनून को चुनते है।
तो परिणाम का डर थोड़ा कम होता समय भी,
बहुत लग सकता लेकिन आप सन्तुष्ट होते हैं।-
परिणाम
हमारा जीवन नित्य निरंतर कर्म एवं उसके परिणाम से जुड़ा हुआ है। एक विद्यार्थी पढ़ाई में परिश्रम करता है एक अच्छे परिणाम के लिये, एक कृषक अपने खेतों में कड़ी मेहनत करता है ताकि उसकी फ़सल अच्छी हो। इसी तरह हर व्यक्ति अपने अपने क्षेत्र में परिश्रम एवं लगन से कार्य करते हुये एक अच्छे परिणाम की अपेक्षा रखता है। हमारे पुराण में कह गया है कि कर्म प्रधान बिश्व करि राखा..। इसका तात्पर्य यह है की कर्म ही सबसे सर्वोपरि है।यह भी कहा गया है कि हमें केवल हमारे कर्म पर अधिकार है परंतु परिणाम पर नहीं। हम प्राणी अच्छे परिणाम की कामना तो कर सकते हैं परंतु परिणाम हमारे हाथ नहीं होता। एक परीक्षार्थी की परीक्षा का परिणाम परीक्षक के हाथ होता है। एक कृषक के मेहनत का परिणाम क़ुदरत के हाथों होता है इत्यादि।
इस लिये हमें मेहनत और लगन से अपना कर्म करना चाहिये, परिणाम की चिंता छोड़ कर। ऐसा देखा गया है कि उत्तम कर्म का परिणाम उत्तम ही होता है, यह सोच कर हमें केवल अपने कर्म पर ही ध्यान देना चाहिये।
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