तेरी आंखों का काजल क़ातिलाना बनाता इन्हें
तुझे इजाज़त है ताककर कत्ल करने का मेरा-
जब रोकूं कुछ दिन भाव को अंदर दबाए रखकर
तभी लिख पाता हूं इश्क को शब्दों में बयां कर
ये एक उबलते अंगार सा आज मुझमें बह रहा है
जैसे तुझे प्यार करने का जज़्बात मुझमें भरा है-
क्यों अपनी नज़रों से छलका कर गिरा दिया
क्यों दिल की तस्वीर से पिघलाकर बहा दिया
आ समेट ले मुझे मैं तेरी छांव में बिखेरा गया हूं
धड़कनें छीनीं गईं मेरी - मुझे बेजान बना दिया-
मेरी आंखों में तेरा नशा आज भी बरक़रार है
मन की गहराईयों में उम्मीदों का तालाब है
मिटती नहीं मुझमें ये तेरी रूह की प्यास है
आज भी मेरी धड़कनों में गूंजता तेरा नाम है
दिल निचोड़कर देख हर बूंद में तू बह रही है
हक़ीक़त नहीं तो ख़्वाबों में अपना कह रही है-
इनमें से मीठा कौन सा पानी....
मेरे माथे की लक्कीरों से फिसल कर खौ जाता है
या जो तेरे होठों से टपक कर चाशनी बन जाता है
या मेरी नम आंखों का जो इनमें ही सूख जाता है
या फिर तेरे बदन का जो खुशबू तेरी बन जाता है-
आसमां की चमक धुंधली नज़र आने लगी है
हवा में जो खुशबू है तेरी कम होने लगी है
ये खुमारी है मदहोशी है कैसे पता लगाऊं मैं
ये दिल की बेकरारी है कैसे तुझे बताऊं मैं
जो रस्सी बांधे थी हमें अचानक टूट गई कैसे
तुम अच्छे वक्त की तरहा पीछे छूट गईं कैसे
वे अच्छे- ये भी अच्छे हैं जो लम्हें जी रहा हूं मैं
अब अकेलेपन की तन्हाई का जाम पी रहा हूं मैं
जब कभी ख़्याल आता तो सोच में पड़ जाता हूं
कुछ तो बताओ क्या मैं बेवफ़ा नज़र आता हूं-
घटती हुई सांसें पूछें जिंदगी का हिसाब क्या
ढलता हुआ शरीर पूछे कि तूने संवारा क्या
गुज़रता हुआ वक्त पूछे कि तूने कमाया क्या
बढ़ती हुई उम्र भी पूछे कि तूने समेटा क्या-
वे दिखावा कर रहे हैं हमसे जुड़े रहने का
और दर्द भी सह रहे हैं मोहब्बत करने का-
रक्त भी क्या बहाऊं तू शामिल हर बूंद में मेरी
यादों में ही नहीं तू तो बसा है आंखों में मेरी,
जब भी तुझे छोड़ने की ठानू ए - जिस्म मेरे
हर आखिरी सांस मुझे ले आती है पास तेरे।-
बेपरवाहों की तरह घूम रहा था
अश्कों को आज बोलते हुए देखा है
आंखों से बह जाता था जो पानी
आज उसे गुनगुनाते हुए देखा है
बहुत सुरीली दिलकश आवाज है उनकी
उनकी जुबां से खुद को सुनते हुए देखा है-