QUOTES ON #पंचतत्व

#पंचतत्व quotes

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3 DEC 2019 AT 9:10

मानव शरीर
पंचतत्वों से बना होता है
जल, थल, नभ,
वायु और अग्नि
पर..
मैं बनी हूँ छह तत्वों से
और मेरा
छठा तत्व हो ... तुम ..!
©LightSoul

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27 SEP 2019 AT 11:30

पंच तत्वों में विलीन होता हमारा प्रेम
क्या तुम्हारी यादों की तरह अमर भी रहेगा ?

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12 JUL 2017 AT 12:39

"त्याग और समर्पण की मूरत"

माँ की ममता का कोई मोल कहाँ, वो तो सारे जग से ऊपर हैं,
माँ ही असली त्याग और समर्पण की सुंदर मूरत हैं।

नॉ महीने तक गर्भ में देती वो आश्रय अपने तन से मेरा तन बनने तक,
करती पोषित नित दिन मुझकों, अपने रक्त से सीच कर।

अपनी आँखों से दुनियां और उसके दस्तूर दिखाती हैं,
मेरे रक्त के कण कण में ममता उसकी विराजित हैं।

अपनी इच्छाओं को त्याग कर सबकी इच्छाएं पूरी वो कराती हैं,
सबका ख्याल रखती हैं वो और खुद को भूल जाती है।

घर परिवार के आगे उसको कहाँ कुछ दिखता हैं,
उनसे ही उसका सारा जीवन चलता हैं।

सबके सुख में सुखी वो होती, दुख में दुखी हो जाती हैं,
अपने सर पर ही वो घर का, सारा भार उठाती हैं।

घर परिवार को वो जोड़े रखती, संस्कारों से सींच कर,
खुद वो हैं नित दिन जलती, सारी तकलीफों को झेल कर।

ना आने देती कष्ट किसी पर, सब अपने ऊपर लेती हैं,
माँ ही असली त्याग और समर्पण की सुंदर मूरत होती हैं।
(Full poem in caption)
-Naina Arora

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4 JAN 2020 AT 8:43


पंचतत्व की भौतिकी, धरणी के आधीन।
क्षिति जल हवा सहेजते, पावक संग विलीन ।


प्रीति

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26 JUN 2017 AT 10:11

सखा........

मैं धीर धरा सी थी
तुम विस्तृत नभ थे
प्रेम तुम्हारा अकिंचन
अग्नि सा ये भाव मेरा
जल सा जलजल ये परिधि
पवन सा ये व्यक्तित्व तुम्हारा
कैसे तोडूं अपने भीष्म वंचना को
सखा लो आज लिख दी एक पाती मैंने
पंचतत्वों को मैंने दी विदाई एक कागज़ में लपेटकर

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19 OCT 2021 AT 21:59

धुंधले धुएं में भी रोशनी हम दिखला देंगे
प्यार पर बात आई तो पत्थर भी पिघला देंगे
परख तो रखते हो ना तुम पनपते प्यार की
पड़ गए फीके अगर तुम्हारे प्यार के रंग में
तो वादा करते हैं खुद को पंचतत्व में मिला लेंगे

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17 NOV 2018 AT 20:40

अस्थियां डूबा चुका हूं खुद की मैं
लोगो को कह दो कि
जनाजे ले जाने की तैयारी करें
खुदा ने मिलने बुलाया है




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20 AUG 2022 AT 13:54

पंचतत्व मिल बना शरीरा
आधार कार्ड बिन रहे अधूरा।।।

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17 DEC 2017 AT 20:51

2. देह क्या है ... देह आकाश है विस्तार है अनंत है पंचतत्व का गगन है... जितना बाहर फैला है उतना ही अपने भीतर भी समाए हुए है इक आकाश
यह देह... फर्क सिर्फ इतना है कि बाहर चिड़िया स्वच्छंद है, उल्लसित है देह के भीतर कैद है इक पिंजड़े में ..! !

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17 NOV 2018 AT 15:41

सर्वश्रेष्ठ तेरी *अस्ति*
तू ही व्याप्त कण-कण में !
सर्वशक्तिमान है तू
तू ही है हर जीवन में !!

पंचतत्व से निर्मित जीवन
विलीन हो पंचतत्व में !
करना विसर्जित *अस्थि* मेरी
गंगा के पावन जल में !!


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