QUOTES ON #निरंकुश

#निरंकुश quotes

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9 FEB 2021 AT 23:39

🙅‍♀🙆‍♀🙅‍♀🤷‍♀

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12 AUG 2019 AT 12:57

साँसें जब प्रतिबंधित होंगीं,
सत्ता के आदेशों से ही
ज़रा बताओ, उस बेला में,
खुलकर चीख मचाओगे क्या?
या कुर्सी पर पदासीन को,
आँख खोलने हेतु ज्ञान कुछ
ओ विशुद्ध सद्भावों वाले,
अनायास दे जाओगे क्या?
】Please Read in the Caption【

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20 JUL 2020 AT 22:01

"मन".........दो अक्षर का शब्द !
है जिसका विस्तार अनंत ,वृहद ।
सीमाएं जिसे बांध नहीं सकती ,
पाबंदी जिसे रोक नहीं सकती,
मन का 'म' अर्थात.........मर्जी
मन का 'न' अर्थात......निरंकुश
अर्थात सम्पूर्णतः स्वेच्छाचारी ,
दायरों के प्रतिबंधों का दमनकारी।
नियमों की अवहेलना की लाचारी
दिखा ढोंगी, बनता है आज्ञाकारी।
इसकी अपनी ज़मीं है,आसमान है
सर्वशक्तिमान होने का अभिमान है।
ख़ुद की मर्ज़ी व निरंकुशता की लत,
मन की मनमौजिता के चर्चे हैं सर्वगत।
जया सिंह 🌺











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6 AUG 2022 AT 19:47

समय की धार है
झरने के झरते जल सी
निरंतर प्रवाहित हवा के रुख सा
ना शोर शराबा है कहीं
चाहे गुजर जाए कहीं से कहीं
मुट्ठी में भरे रेत की तरह
फिसलता रहता हरदम
कभी बांसुरी से निकले मानो
धाराप्रवाह सुरीली सरगम
सूरज की किरणों के प्रसार भांति
ज्यों समाज में उड़ती कोई भ्रांति
ध्वनि से तरंगे उठती हो जैसे
वक्त चलायमान रहता वैसे
समय की धार होती तेज
मानो पवन का हो निरंकुश वेग

✍️Sunita Swain
_Aakankshayein











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जीत का महत्त्व इसलिये है, क्योंकि हार है। हार न हो तो जीत बोझ बन जायेगी. लगातार जीत निरंकुशता लाती है, इसलिये हार को दोस्त बनाओ, उससे डरो नहीं।

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9 JUN 2021 AT 22:55

शीर्ष प्रतिनिधित्व लापरवाह होने से अन्य सदस्य स्वेच्छाचारी हो जाते हैं।

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3 AUG 2019 AT 18:06

तुम " उच्छृंखल "

अरे! कौन, कौन, कौन??
जल, वायु और अग्नि सब हैं मौन..
ये मिट्टी हौले से पूछे, "उच्छृंखल" कौन??

ये नीला आकाश, मेघ, गगन,
नीला धन बरसाते, घन घन घन..
कहीं यही तो नहीं हैं, "उच्छृंखल"

या इन पंचतत्वों को मिला चुका है,
किसी प्रेमी के "काल" का बल??

नहीं, नहीं, तुम " उच्छृंखल "

अरे! कौन, कौन, कौन??
-© ✍🏻 कौस्तुभ पचौरी ❤️

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16 MAY 2018 AT 20:23

इस छोटे से दिल में है क़ैद ,
कई ख़्वाहिशें जिसे है करनी पुरी,
उसमें से कुछ तो होगी पुरी,
और कुछ रह जाएगी अधूरी।

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16 MAY 2018 AT 20:15

लाल फीते की फाइल में
अरसे से बंद हैं कुछ अर्जियां,
कुंठित हैं सपने न जाने कितने
क्योंकि चल रही निरंकुश मनमर्जियां।

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6 APR 2018 AT 22:20

क्या है कविता?
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मन-पीड़ का गर्भस्थ शिशु है
या विरहन-नैनों का अश्रु है
है हिमाल का उत्तान शिखर
या रवि की है किरण प्रखर
तुम ही कहो क्या है कविता?

धारा है या नाव है ये
कि स्वजन-प्रदत्त घाव है ये
ये किशन की व्याकुल राधा है
ये खग है या कि व्याधा है
तुम ही कहो क्या है कविता?

शोषित जनता का श्वासोच्छ्वास
या निरंकुश नृप का है अट्ठहास
प्रबन्ध है या कथा लघु है
निज कन्या है कि पुत्रवधु है
तुम ही कहो क्या है कविता?

व्योम का है वितान ये
या नव-वधु की सिमटन है
अतिस्पंदित कोई हृदय है
या अक्षर-अक्षर जीवन है
कोई तो कहो क्या है कविता?

© Ghumnam Gautam

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